Movie/Album: हकीकत (1964)
Lyrics By: मदन मोहन
Music By: कैफ़ी आज़मी
Performed By: मोहम्मद रफ़ी
मस्ती में छेड़ के तराना कोई दिल का
आज लुटायेगा खज़ाना कोई दिल का
मस्ती में छेड़ के तराना...
प्यार बहलता नहीं बहलाने से
लो मैं चमन को चला वीराने से
शमा है कब से जुदा परवाने से
अश्क़ थमेंगे नज़र मिल जाने से
दिल से मिलेगा दीवाना कोई दिल का
आज लुटायेगा खज़ाना कोई दिल का
मस्ती में छेड़ के तराना...
मिल के वो पहले बहुत शर्माएगी
आगे बढ़ेगी मगर रुक जाएगी
हो के करीब कभी घबराएगी
और करीब कभी खिंच आएगी
खेल नहीं है मनाना कोई दिल का
आज लुटायेगा खज़ाना कोई दिल का
मस्ती में छेड़ के तराना...
मुखड़े से ज़ुल्फ़ ज़रा सरकाऊँगा
सुलझेगा प्यार उलझ मैं जाऊँगा
पा के भी हाय बहुत पछताऊँगा
ऐसा सुक़ून कहाँ फिर पाऊँगा
और नहीं है ठिकाना कोई दिल का
आज लुटायेगा खज़ाना कोई दिल का
मस्ती में छेड़ के तराना...
Lyrics By: मदन मोहन
Music By: कैफ़ी आज़मी
Performed By: मोहम्मद रफ़ी
मस्ती में छेड़ के तराना कोई दिल का
आज लुटायेगा खज़ाना कोई दिल का
मस्ती में छेड़ के तराना...
प्यार बहलता नहीं बहलाने से
लो मैं चमन को चला वीराने से
शमा है कब से जुदा परवाने से
अश्क़ थमेंगे नज़र मिल जाने से
दिल से मिलेगा दीवाना कोई दिल का
आज लुटायेगा खज़ाना कोई दिल का
मस्ती में छेड़ के तराना...
मिल के वो पहले बहुत शर्माएगी
आगे बढ़ेगी मगर रुक जाएगी
हो के करीब कभी घबराएगी
और करीब कभी खिंच आएगी
खेल नहीं है मनाना कोई दिल का
आज लुटायेगा खज़ाना कोई दिल का
मस्ती में छेड़ के तराना...
मुखड़े से ज़ुल्फ़ ज़रा सरकाऊँगा
सुलझेगा प्यार उलझ मैं जाऊँगा
पा के भी हाय बहुत पछताऊँगा
ऐसा सुक़ून कहाँ फिर पाऊँगा
और नहीं है ठिकाना कोई दिल का
आज लुटायेगा खज़ाना कोई दिल का
मस्ती में छेड़ के तराना...
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