Movie/Album: हम पंछी एक डाल के (1957)
Music By: दत्ता नाइक
Lyrics By: प्यारेलाल संतोषी
Performed By: मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले
जिस घर के लोगों को सुबह झगड़ते देखा है
शाम हुई की घर वही उजड़ते देखा है
अरे बनती नहीं है बात झगड़े से कभी यारों
बनते बनते बात को बिगड़ते देखा है
अरे हम पंछी एक डाल के एक डाल के
एक डाल के
अरे हम पंछी एक डाल के एक डाल के
एक डाल के
संग संग डोलें जी संग संग डोलें
बोली अपनी अपनी बोलें
जी बोलें जी बोलें
संग संग डोलें जी संग संग डोलें
हम पंछी एक डाल के...
दिन के झगड़े दिन को भूले
रातों को सपनों में हम झूले
धरती बिछौना नीली चदरिया
मीठी नींदे सो लें जी सो लें सो लें
संग संग डोले...
आशा भोंसले
पूरब है फिर देने वाला
सारी दुनिया को उजियाला
चलो बंधुओं उड़ कर जाएँ
द्वार गगन के खोलें
जी खोलें, जी खोलें, जी खोलें
संग-संग डोलें...
उठ ण सके जो अब तक सो के
पा न सके जो सब कुछ खो के
उनके जीवन हम वापस
नव जीवन रस घोलें
जी घोलें, जी घोलें
संग-संग डोलें...
Music By: दत्ता नाइक
Lyrics By: प्यारेलाल संतोषी
Performed By: मोहम्मद रफ़ी, आशा भोंसले
जिस घर के लोगों को सुबह झगड़ते देखा है
शाम हुई की घर वही उजड़ते देखा है
अरे बनती नहीं है बात झगड़े से कभी यारों
बनते बनते बात को बिगड़ते देखा है
अरे हम पंछी एक डाल के एक डाल के
एक डाल के
अरे हम पंछी एक डाल के एक डाल के
एक डाल के
संग संग डोलें जी संग संग डोलें
बोली अपनी अपनी बोलें
जी बोलें जी बोलें
संग संग डोलें जी संग संग डोलें
हम पंछी एक डाल के...
दिन के झगड़े दिन को भूले
रातों को सपनों में हम झूले
धरती बिछौना नीली चदरिया
मीठी नींदे सो लें जी सो लें सो लें
संग संग डोले...
आशा भोंसले
पूरब है फिर देने वाला
सारी दुनिया को उजियाला
चलो बंधुओं उड़ कर जाएँ
द्वार गगन के खोलें
जी खोलें, जी खोलें, जी खोलें
संग-संग डोलें...
उठ ण सके जो अब तक सो के
पा न सके जो सब कुछ खो के
उनके जीवन हम वापस
नव जीवन रस घोलें
जी घोलें, जी घोलें
संग-संग डोलें...
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