Movie/Album: आरक्षण (2011)
Music By: शंकर-एहसान-लॉय
Lyrics By: प्रसून जोशी
Performed By: शंकर महादेवन
बरस रही है रौशनी, बरस रही है रौशनी
दीवारें तोड़ के, राहों को मोड़ के, निकली है रौशनी
हर बंधन छोड़ के, घोलो-घोलो ये अँधेरे हाँ
बना दो सियाही और लिख दो तुम नयी सुबह
तोड़ो ताले, सूरज को खोल दो
सबकी मुट्ठी रौशन हैं बोल दो
तोड़ो कुएँ और कर दो तुम नदी
पी लो बाँटो है सबकी रौशनी
है ये सबकी रौशनी, पिघली है ये रौशनी
सबके लिए रस्ते हों, आशा के बस्ते हों
जिनमें उजाले बसते हों
खाई सी थी मिट-मिट गयी
काई सी थी हट हट गयी
हो सबका सूरज सबका आसमां अब यहाँ
तोड़ो ताले, सूरज को खोल दो...
रौशनी की रैली, धूप फैली-फैली
रुत ये नयी है नवेली
अब तो सब हैं फिसरे रूले
इंजन सबका खिसके रूले
हो सबकी मंज़िल, सबका कारवां अब यहाँ
तोड़े ताले, सूरज को खोल दो...
Music By: शंकर-एहसान-लॉय
Lyrics By: प्रसून जोशी
Performed By: शंकर महादेवन
बरस रही है रौशनी, बरस रही है रौशनी
दीवारें तोड़ के, राहों को मोड़ के, निकली है रौशनी
हर बंधन छोड़ के, घोलो-घोलो ये अँधेरे हाँ
बना दो सियाही और लिख दो तुम नयी सुबह
तोड़ो ताले, सूरज को खोल दो
सबकी मुट्ठी रौशन हैं बोल दो
तोड़ो कुएँ और कर दो तुम नदी
पी लो बाँटो है सबकी रौशनी
है ये सबकी रौशनी, पिघली है ये रौशनी
सबके लिए रस्ते हों, आशा के बस्ते हों
जिनमें उजाले बसते हों
खाई सी थी मिट-मिट गयी
काई सी थी हट हट गयी
हो सबका सूरज सबका आसमां अब यहाँ
तोड़ो ताले, सूरज को खोल दो...
रौशनी की रैली, धूप फैली-फैली
रुत ये नयी है नवेली
अब तो सब हैं फिसरे रूले
इंजन सबका खिसके रूले
हो सबकी मंज़िल, सबका कारवां अब यहाँ
तोड़े ताले, सूरज को खोल दो...
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