Movie/Album: कुली (1983)
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: शब्बीर कुमार
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
लोग आते हैं, लोग जाते हैं
हम यहीं पे खड़े रह जाते हैं
सारी दुनिया का बोझ...
चार का काम है एक का दाम है
खून मत पीजिए और कुछ दीजिए
एक रुपैया है कम, हम खुदा की कसम
बड़ी मेहनत से रोटी कमाते हैं
सारी दुनिया का बोझ...
थोड़ा पानी पिया, याद रब को किया
भूख भी मिट गयी, प्यास भी बुझ गयी
कम हर हाल में, नाम को साल में
ईद की एक छुट्टी मनाते हैं
सारी दुनिया का बोझ...
जीना मुश्किल तो है, अपना भी दिल तो है
दिल में अरमान हैं, हम भी इंसान हैं
जब सताते हैं ग़म, ऐश करते हैं हम
बीड़ी पीते हैं और पान खाते हैं
सारी दुनिया का बोझ...
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: शब्बीर कुमार
सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं
लोग आते हैं, लोग जाते हैं
हम यहीं पे खड़े रह जाते हैं
सारी दुनिया का बोझ...
चार का काम है एक का दाम है
खून मत पीजिए और कुछ दीजिए
एक रुपैया है कम, हम खुदा की कसम
बड़ी मेहनत से रोटी कमाते हैं
सारी दुनिया का बोझ...
थोड़ा पानी पिया, याद रब को किया
भूख भी मिट गयी, प्यास भी बुझ गयी
कम हर हाल में, नाम को साल में
ईद की एक छुट्टी मनाते हैं
सारी दुनिया का बोझ...
जीना मुश्किल तो है, अपना भी दिल तो है
दिल में अरमान हैं, हम भी इंसान हैं
जब सताते हैं ग़म, ऐश करते हैं हम
बीड़ी पीते हैं और पान खाते हैं
सारी दुनिया का बोझ...
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