Movie/Album: दो और दो पांच (1980)
Music By: राजेश रोशन
Lyrics By: अंजान
Performed By: किशोर कुमार, अनुराधा पौडवाल
सोती है ये रात सोने दो
नींद में जहां को खोने दो
गीत मेरे तुम तो सुनो
तुम कहीं सो मत जाना
सोती है ये रात...
वो चंदा मामा ज़मीं पे लाए सितारों वाली रेल (देखो देखो वो आई)
अभी तो होगा नया तमाशा शुरू करेंगे खेल (चलो चलो शाबाश)
रेल चलेगी छुक छुक छुक, हम बोलेंगे रुक रुक रुक
फिर गाड़ी रुक जाएगी, हम सबको बैठाएगी
उड़कर ऊपर जाएगी, मुड़कर नीचे आएगी
तारों वाली रेल हमें आकाश की सैर कराएगी
सोती है ये रात...
पास तो आओ तुम्हें सुनाऊँ एक मज़े की बात
लौट रहे थे पिकनिक से हम रस्ते में हो गयी रत
कहीं अचानक शोर उठा, मुड़े जो हम तो क्या देखा
देखा कि, भूत भूत भूत
पीछे चलूँगा, खा जाऊँगा, मैं भूखा हूँ, खा जाऊँगा
छुपके कहाँ जाओगे, आज न बच पाओगे
फिर चिंटू ने की चतुराई, जादू की बंसरी बजाई
झूम झूम के ऐसी तान सुनाई, उन भूतों की शामत आई
नाच नाच बेहाल हुए तो हार की देने लगे दुहाई
छोड़ दो हमको, जाने भी दो
क्यों भूखे हो तुम? नहीं भूखे हैं
हमें खाओगे? नहीं खाएँगे
तो फिर भागो भागो भागो
सोती है ये रात...
ये वक़्त हमसे बदल के आँखे कोई सितम न ढाए
पलक लगे तो बस एक पल में शमा बदल ना जाए
देखो इधर चुप ना रहो कुछ तो सुनो कुछ तो कहो
जी करता है आज मैं सारे जग की आँख से नींद उड़ा दूँ
सोती है ये रात...
Music By: राजेश रोशन
Lyrics By: अंजान
Performed By: किशोर कुमार, अनुराधा पौडवाल
सोती है ये रात सोने दो
नींद में जहां को खोने दो
गीत मेरे तुम तो सुनो
तुम कहीं सो मत जाना
सोती है ये रात...
वो चंदा मामा ज़मीं पे लाए सितारों वाली रेल (देखो देखो वो आई)
अभी तो होगा नया तमाशा शुरू करेंगे खेल (चलो चलो शाबाश)
रेल चलेगी छुक छुक छुक, हम बोलेंगे रुक रुक रुक
फिर गाड़ी रुक जाएगी, हम सबको बैठाएगी
उड़कर ऊपर जाएगी, मुड़कर नीचे आएगी
तारों वाली रेल हमें आकाश की सैर कराएगी
सोती है ये रात...
पास तो आओ तुम्हें सुनाऊँ एक मज़े की बात
लौट रहे थे पिकनिक से हम रस्ते में हो गयी रत
कहीं अचानक शोर उठा, मुड़े जो हम तो क्या देखा
देखा कि, भूत भूत भूत
पीछे चलूँगा, खा जाऊँगा, मैं भूखा हूँ, खा जाऊँगा
छुपके कहाँ जाओगे, आज न बच पाओगे
फिर चिंटू ने की चतुराई, जादू की बंसरी बजाई
झूम झूम के ऐसी तान सुनाई, उन भूतों की शामत आई
नाच नाच बेहाल हुए तो हार की देने लगे दुहाई
छोड़ दो हमको, जाने भी दो
क्यों भूखे हो तुम? नहीं भूखे हैं
हमें खाओगे? नहीं खाएँगे
तो फिर भागो भागो भागो
सोती है ये रात...
ये वक़्त हमसे बदल के आँखे कोई सितम न ढाए
पलक लगे तो बस एक पल में शमा बदल ना जाए
देखो इधर चुप ना रहो कुछ तो सुनो कुछ तो कहो
जी करता है आज मैं सारे जग की आँख से नींद उड़ा दूँ
सोती है ये रात...
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