Movie/Album: मान अभिमान (1980)
Music By: रविन्द्र जैन
Lyrics By: रविन्द्र जैन
Performed By: सुरेश वाडकर
इन्हीं मुलाक़ातों में कोई मुलाक़ात
होगी ऐसी प्यारी मुलाक़ात
मिल के कभी फिर छुटेगा न साथ
इन्हीं मुलाक़ातों में...
यूँ ही मिलते जुलते, दोनों के दिल
मिल जायेंगे एक दिन
प्यार के तराने, दोनों मिल के
दोहरायेंगे एक दिन
होंगे ऐसे मीठे नग़मात
जिनको सुन के छूटेगा न साथ
इन्हीं मुलाक़ातों में...
मीठा हो के तीखा भूलता नहीं
दिन पहले मिलन का
वही इक दिन तो कारण है
हर दिन के मिलन का
मीठी तीखी कही सुनी बात
बढ़कर बोले छूटेगा न साथ
इन्हीं मुलाक़ातों में...
वो देखो पंछी साँझ ढले
अपने बसेरों को लौट चले
मेरी आँखें भी सपने बुने
एक ऐसे ही घर के
जहाँ राह मेरी देखेगा कोई
नित सज के सँवर के
समझे कोई मेरे जज़बात
कह दे कह दे छूटेगा न साथ
इन्हीं मुलाक़ातों में...
Music By: रविन्द्र जैन
Lyrics By: रविन्द्र जैन
Performed By: सुरेश वाडकर
इन्हीं मुलाक़ातों में कोई मुलाक़ात
होगी ऐसी प्यारी मुलाक़ात
मिल के कभी फिर छुटेगा न साथ
इन्हीं मुलाक़ातों में...
यूँ ही मिलते जुलते, दोनों के दिल
मिल जायेंगे एक दिन
प्यार के तराने, दोनों मिल के
दोहरायेंगे एक दिन
होंगे ऐसे मीठे नग़मात
जिनको सुन के छूटेगा न साथ
इन्हीं मुलाक़ातों में...
मीठा हो के तीखा भूलता नहीं
दिन पहले मिलन का
वही इक दिन तो कारण है
हर दिन के मिलन का
मीठी तीखी कही सुनी बात
बढ़कर बोले छूटेगा न साथ
इन्हीं मुलाक़ातों में...
वो देखो पंछी साँझ ढले
अपने बसेरों को लौट चले
मेरी आँखें भी सपने बुने
एक ऐसे ही घर के
जहाँ राह मेरी देखेगा कोई
नित सज के सँवर के
समझे कोई मेरे जज़बात
कह दे कह दे छूटेगा न साथ
इन्हीं मुलाक़ातों में...
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