Movie/Album: साधना (1958 )
Music By: दत्ता नाइक
Lyrics By: साहिर लुधयानवी
Performed By: लता मंगेशकर
जो हम में है वो मतवाली अदा, सब में नहीं होती
मोहब्बत सब में होती है, वफ़ा सब में नहीं होती
ऐसे वैसे ठिकानों पे, जाना बुरा है
बच के रहना मेरी जाँ, ज़माना बुरा है
दिल लगाना बुरा है
ऐसे वैसे ठिकानों पे...
ज़ुल्फ़ लहराये तो, ज़ंजीर भी बन जाती है
आँख शरमाये तो, एक तीर भी बन जाती है
दिल लुभाने को जो, दिलदार बना करते हैं
दिल चुरा कर वही, तलवार बना करते हैं
ये वो महफ़िल है जहाँ, प्यार भी लूट जाता है
दिल तो क्या चीज़ है, घर-बार भी लूट जाता है
इसलिए तो कहते हैं
ऐसे वैसे ठिकानों पे...
तक के हँसते है तो, मस्ताना बना देते हैं
हँस के तकते है तो, दीवाना बना देते हैं
कोई नग़मे में कोई साज़ में खो जाता है
इनसे जो बचता है, वो नाज़ में खो जाता है
यूँ तो गर्दन से लिपट जाती है बाहें इनकी
दिल नहीं जेब पे होती है निगाहें इनकी
इसलिए तो कहते हैं
ऐसे वैसे ठिकानों पे...
हम सितम ढाते हैं, बेदाद किया करते हैं
दिल लिया करते हैं, और दर्द दिया करते हैं
दर्द लेना हो तो, महफ़िल मेरी आबाद करो
वर्ना जाओ जी किसी और का घर याद करो
आज जाओगे तो कल लौट के फिर आओगे
हमसा माशूक़ ना दुनिया में कहीं पाओगे
इसलिए तो कहती हूँ
ऐसे वैसे ठिकानों पे...
Music By: दत्ता नाइक
Lyrics By: साहिर लुधयानवी
Performed By: लता मंगेशकर
जो हम में है वो मतवाली अदा, सब में नहीं होती
मोहब्बत सब में होती है, वफ़ा सब में नहीं होती
ऐसे वैसे ठिकानों पे, जाना बुरा है
बच के रहना मेरी जाँ, ज़माना बुरा है
दिल लगाना बुरा है
ऐसे वैसे ठिकानों पे...
ज़ुल्फ़ लहराये तो, ज़ंजीर भी बन जाती है
आँख शरमाये तो, एक तीर भी बन जाती है
दिल लुभाने को जो, दिलदार बना करते हैं
दिल चुरा कर वही, तलवार बना करते हैं
ये वो महफ़िल है जहाँ, प्यार भी लूट जाता है
दिल तो क्या चीज़ है, घर-बार भी लूट जाता है
इसलिए तो कहते हैं
ऐसे वैसे ठिकानों पे...
तक के हँसते है तो, मस्ताना बना देते हैं
हँस के तकते है तो, दीवाना बना देते हैं
कोई नग़मे में कोई साज़ में खो जाता है
इनसे जो बचता है, वो नाज़ में खो जाता है
यूँ तो गर्दन से लिपट जाती है बाहें इनकी
दिल नहीं जेब पे होती है निगाहें इनकी
इसलिए तो कहते हैं
ऐसे वैसे ठिकानों पे...
हम सितम ढाते हैं, बेदाद किया करते हैं
दिल लिया करते हैं, और दर्द दिया करते हैं
दर्द लेना हो तो, महफ़िल मेरी आबाद करो
वर्ना जाओ जी किसी और का घर याद करो
आज जाओगे तो कल लौट के फिर आओगे
हमसा माशूक़ ना दुनिया में कहीं पाओगे
इसलिए तो कहती हूँ
ऐसे वैसे ठिकानों पे...
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