Movie/Album: 1921 (2018)
Music By: असद खान
Lyrics By: रकीब आलम
Performed By: अरिजीत सिंह, आकांशा शर्मा
तेरे बिना मर्ज़ आधा अधूरा है
इक धुंध है, शाम है, न सवेरा है
तन्हाँ हूँ मैं, फिर भी तन्हाँ नहीं
डर ये है के फना हो ना जाऊँ
आजा ना निगाहों से इल्ज़ाम दे
अदाओं से पैगाम दे
कोई तो मुझे नाम दे
इश्क है बदगुमाँ
आजा ना निगाहों से इल्ज़ाम दे...
तू नदी का किनारा
गुमनाम सा मैं हूँ सफ़ीना
तू है मौसम बहारा
सूखी-सूखी मैं हिना
जाँ मेरी है फँसी
एक मुलाकात में
कैसे मैं अब जिऊँ ऐसे हालात में
सर पे ग़म का है जो आसमाँ
तेरे बिना मर्ज़...
बेसबर हो रही है ये मेरी बाहें
तू कहाँ है
बेनज़र हो रही है ये निगाहें
तू कहाँ
अपने दिल से मेरा हक मिटाने लगे
मेरे हर ख्वाब को तुम जलाने लगे
दिल में भरने लगा है धुँआ
तेरे बिना मर्ज़...
Music By: असद खान
Lyrics By: रकीब आलम
Performed By: अरिजीत सिंह, आकांशा शर्मा
तेरे बिना मर्ज़ आधा अधूरा है
इक धुंध है, शाम है, न सवेरा है
तन्हाँ हूँ मैं, फिर भी तन्हाँ नहीं
डर ये है के फना हो ना जाऊँ
आजा ना निगाहों से इल्ज़ाम दे
अदाओं से पैगाम दे
कोई तो मुझे नाम दे
इश्क है बदगुमाँ
आजा ना निगाहों से इल्ज़ाम दे...
तू नदी का किनारा
गुमनाम सा मैं हूँ सफ़ीना
तू है मौसम बहारा
सूखी-सूखी मैं हिना
जाँ मेरी है फँसी
एक मुलाकात में
कैसे मैं अब जिऊँ ऐसे हालात में
सर पे ग़म का है जो आसमाँ
तेरे बिना मर्ज़...
बेसबर हो रही है ये मेरी बाहें
तू कहाँ है
बेनज़र हो रही है ये निगाहें
तू कहाँ
अपने दिल से मेरा हक मिटाने लगे
मेरे हर ख्वाब को तुम जलाने लगे
दिल में भरने लगा है धुँआ
तेरे बिना मर्ज़...
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