Movie/Album: फ़िज़ा (2000)
Music By: अनु मलिक
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: अल्का याग्निक, सोनू निगम, प्रशांत समद्दर
फ़िज़ा हे फ़िज़ा
तू हवा है फ़िज़ा है, जमीं की नहीं
तू घटा है तो फिर क्यों बरसती नहीं
उड़ती रहती है तू पंछियों की तरह
आ मेरे आशियाने में आ
मैं हवा हूँ कहीं भी ठहरती नहीं
रुक भी जाऊँ कहीं पर तो रहती नहीं
मैंने तिनके उठाये हुए हैं परों पर
आशियाना नहीं है मेरा
घने एक पेड़ से मुझे, झोंका कोई ले के आया है
सूखे पत्ते की तरह, हवा ने हर तरफ उड़ाया है
आना आ, हे आना आ इक दफ़ा इस जमीं से उठें
पाँव रखें हवा पर, ज़रा सा उड़ें
चल चलें हम जहाँ कोई रस्ता न हो
कोई रहता ना हो, कोई बसता न हो
कहते हैं आँखों में मिलती है ऐसी जगह
फ़िज़ा, फ़िज़ा
मैं हवा हूँ...
तुम मिले तो क्यों लगा मुझे, खुद से मुलाकात हो गयी
कुछ भी तो कहा नहीं मगर, ज़िन्दगी से बात हो गयी
आना आ, आना आ साथ बैठे ज़रा देर को
हाथ थामे रहें और कुछ ना कहें
छु के देखे तो आँखों की खामोशियाँ
कितनी चुपचाप होती हैं सरगोशियाँ
सुनते हैं आँखों में होती हैं ऐसी सदा
फ़िज़ा, फ़िज़ा
तू हवा है...
Music By: अनु मलिक
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: अल्का याग्निक, सोनू निगम, प्रशांत समद्दर
फ़िज़ा हे फ़िज़ा
तू हवा है फ़िज़ा है, जमीं की नहीं
तू घटा है तो फिर क्यों बरसती नहीं
उड़ती रहती है तू पंछियों की तरह
आ मेरे आशियाने में आ
मैं हवा हूँ कहीं भी ठहरती नहीं
रुक भी जाऊँ कहीं पर तो रहती नहीं
मैंने तिनके उठाये हुए हैं परों पर
आशियाना नहीं है मेरा
घने एक पेड़ से मुझे, झोंका कोई ले के आया है
सूखे पत्ते की तरह, हवा ने हर तरफ उड़ाया है
आना आ, हे आना आ इक दफ़ा इस जमीं से उठें
पाँव रखें हवा पर, ज़रा सा उड़ें
चल चलें हम जहाँ कोई रस्ता न हो
कोई रहता ना हो, कोई बसता न हो
कहते हैं आँखों में मिलती है ऐसी जगह
फ़िज़ा, फ़िज़ा
मैं हवा हूँ...
तुम मिले तो क्यों लगा मुझे, खुद से मुलाकात हो गयी
कुछ भी तो कहा नहीं मगर, ज़िन्दगी से बात हो गयी
आना आ, आना आ साथ बैठे ज़रा देर को
हाथ थामे रहें और कुछ ना कहें
छु के देखे तो आँखों की खामोशियाँ
कितनी चुपचाप होती हैं सरगोशियाँ
सुनते हैं आँखों में होती हैं ऐसी सदा
फ़िज़ा, फ़िज़ा
तू हवा है...
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