Movie/Album: सारांश (1984)
Music By: अजीत वर्मन
Lyrics By: वसंत देव
Performed By: अमित कुमार
हर घड़ी ढल रही शाम है ज़िन्दगी
दर्द का दूसरा नाम है ज़िन्दगी
हर घड़ी ढल रही...
आसमाँ है वही, और वही है ज़मीं
है मकाँ ग़ैर का, ग़ैर है या हमीं
अजनबी आँख सी आज है ज़िन्दगी
दर्द का दूसरा...
क्यूँ खड़े राह में, राह भी सो गई
अपनी तो छाँह भी, अपने से खो गई
भटके हुए पंछी की रात है ज़िन्दगी
दर्द का दूसरा...
Music By: अजीत वर्मन
Lyrics By: वसंत देव
Performed By: अमित कुमार
हर घड़ी ढल रही शाम है ज़िन्दगी
दर्द का दूसरा नाम है ज़िन्दगी
हर घड़ी ढल रही...
आसमाँ है वही, और वही है ज़मीं
है मकाँ ग़ैर का, ग़ैर है या हमीं
अजनबी आँख सी आज है ज़िन्दगी
दर्द का दूसरा...
क्यूँ खड़े राह में, राह भी सो गई
अपनी तो छाँह भी, अपने से खो गई
भटके हुए पंछी की रात है ज़िन्दगी
दर्द का दूसरा...
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