आह को चाहिए - Aah Ko Chahiye (Suraiyya, Jagjit Singh, Mirza Ghalib)

Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (1954), मिर्ज़ा ग़ालिब (टीवी) (1988)
Music By: ग़ुलाम मोहम्मद, जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: सुरैया, जगजीत सिंह

आह को चाहिए एक उम्र असर होने तक
कौन जीता है तेरी ज़ुल्फ़ के सर होने तक

आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होने तक

हमने माना कि तग़ाफुल न करोगे लेकिन
ख़ाक हो जाएँगे हम तुमको ख़बर होने तक

ग़म-ए-हस्ती का ‘असद’ किससे हो जुज़-मर्ग इलाज
शमा हर रंग में जलती है सहर होने तक

No comments :

Post a Comment

यह वेबसाइट/गाना पसंद है? तो कुछ लिखें...