Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (टी वी सीरियल) (1988)
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: जगजीत सिंह
और बाजार से ले आए
अगर टूट गया
साग़र-ए-जम से मेरा
जाम-ए-सिफ़ाल अच्छा है
उनके देखे से जो आ जाती है
मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं के
बीमार का हाल अच्छा है
देखिये पाते हैं उश्शाक़
बुतों से क्या फ़ैज़
इक बरहामन ने कहा है
के ये साल अच्छा है
हमको मालूम है
जन्नत की हक़ीक़त, लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को
ग़ालिब, ये ख़याल अच्छा है
Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: जगजीत सिंह
और बाजार से ले आए
अगर टूट गया
साग़र-ए-जम से मेरा
जाम-ए-सिफ़ाल अच्छा है
उनके देखे से जो आ जाती है
मुँह पर रौनक़
वो समझते हैं के
बीमार का हाल अच्छा है
देखिये पाते हैं उश्शाक़
बुतों से क्या फ़ैज़
इक बरहामन ने कहा है
के ये साल अच्छा है
हमको मालूम है
जन्नत की हक़ीक़त, लेकिन
दिल के ख़ुश रखने को
ग़ालिब, ये ख़याल अच्छा है
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