Movie/Album: मिर्ज़ा ग़ालिब (1954)
Music By: ग़ुलाम मोहम्मद
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: सुरैया
रहिए अब ऐसी जगह
चल कर, जहाँ कोई न हो
हम-सुख़न कोई न हो
और हम-ज़बाँ कोई न हो
रहिए अब ऐसी जगह
बे-दर-ओ-दीवार का इक
घर बनाना चाहिये
कोई हम-साया न हो
और पासबाँ कोई न हो
रहिए अब ऐसी जगह
पड़िए ग़र बीमार तो
कोई न हो तीमारदार
और अगर मर जाइए तो
नौहा-ख़्वाँ कोई न हो
रहिए अब ऐसी जगह...
Music By: ग़ुलाम मोहम्मद
Lyrics By: मिर्ज़ा ग़ालिब
Performed By: सुरैया
रहिए अब ऐसी जगह
चल कर, जहाँ कोई न हो
हम-सुख़न कोई न हो
और हम-ज़बाँ कोई न हो
रहिए अब ऐसी जगह
बे-दर-ओ-दीवार का इक
घर बनाना चाहिये
कोई हम-साया न हो
और पासबाँ कोई न हो
रहिए अब ऐसी जगह
पड़िए ग़र बीमार तो
कोई न हो तीमारदार
और अगर मर जाइए तो
नौहा-ख़्वाँ कोई न हो
रहिए अब ऐसी जगह...
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