Movie/Album: आर्टिकल 15 (2019)
Music By: डेविन डीएलपी पार्कर, जिंजर
Lyrics By: स्लोचीता, डी एमसी, काम भारी, स्पिटफायर
Performed By: स्लोचीता, डी एमसी, काम भारी, स्पिटफायर
बातें बहुत हुईं
काम शुरू करें क्या
कल क्या करेगा
आज शुरू करें क्या
ये देश अपने हाथ
कुछ बातों से होगा ना
तू खुद ही है नायक
तो शुरू करें क्या
बातें बहुत हुईं...
शुरुआत से ही सीखते ग़लत हैं
गरम है हम सब पे
पर ख़ुद में जो दम है वो कम है क्या
तेरे अन्दर की ज़मीर आज नम है क्या
दूसरों पे भौंके
तुझे ख़ुद पे शरम है क्या
गरीबों पे अत्याचार
बच्चियों का बलात्कार
ना रुकेगा ना तो
ना होगा ऐसा कोई चमत्कार
उंगली उठाते पर आवाज़ तो उठाओ
नोट सब छापे साले इज्ज़त कमाओ
बत्ती तुम जलाते खाली कदम बढ़ाते
अपने अन्दर के अँधेरे में वो बत्ती को जलाओ
आफ़ताब सी उड़ान क्यूँ
समाज बना चिलमन सा
लूटकर कर जो लथपथ
तू पूछता है जात उनका
तरकश में मज़हब ये
जब तक तराज़ू के
पीढ़ी की मौत होगी
घर्षण करे शंका, हाँ
ऐनक अवाम का है साफ नहीं देवी
हाँ सड़कों पे डर के क्यूँ काँप रही
साँप बनी छाती पे दहशत धरम की
तू खुद है मसीहा ये आँखें क्यूँ नम सी
साँप बनी छाती...
बातें बहुत हुईं...
तू भाई मुसलमान का तो
काय को लड़ते जात पे
इंसानियत है गुमशुदा
और साइको हम हालात से
और अपने लोगों को तो चाहिए जाति का वार
हाथी का दाँत
तू बोल मुझको किधर गायब इंसाफ
तभी मिलेगा जभी तू
अपने हक को बोलना शुरू करेगा
सच को खोलना सब के बारे में सोचना
अब तू नहीं डरेगा
अमीर के थाली में रोटी है चार
फ़कीर को नहीं है मिला प्रसाद
सब ठीक है तेरा तो बढ़ा व्यापार
कमज़ोर पे ऐसे ना डाल दबाव
चलो शुरू से शुरू करें हाल क्यूँ बेहाल है
ऐसे तो आज़ादी को हुए सत्तर साल हैं
हम आज़ाद ना फिर भी
कभी सुनते ना ख़ुद की
घर बैठे सोचेंगे मसले की तरकीब
कदम ले आगे तो पीछे ये खींचे
तू ज़्यादा सच उगले तो धरती के नीचे
अब नीचे ही रहना
हिम्मत से सहना
वो मारे वो पीटे
तू कुछ भी ना कहना
हर जाति से छोटी यहाँ औरत की जात
दे दे जीवन की डोर किसी और के हाथ
यहाँ प्राण जाए पर मान ना जाए
दौलत की लालच हड़पती दुआएँ
बातें बहुत हुईं...
Music By: डेविन डीएलपी पार्कर, जिंजर
Lyrics By: स्लोचीता, डी एमसी, काम भारी, स्पिटफायर
Performed By: स्लोचीता, डी एमसी, काम भारी, स्पिटफायर
बातें बहुत हुईं
काम शुरू करें क्या
कल क्या करेगा
आज शुरू करें क्या
ये देश अपने हाथ
कुछ बातों से होगा ना
तू खुद ही है नायक
तो शुरू करें क्या
बातें बहुत हुईं...
शुरुआत से ही सीखते ग़लत हैं
गरम है हम सब पे
पर ख़ुद में जो दम है वो कम है क्या
तेरे अन्दर की ज़मीर आज नम है क्या
दूसरों पे भौंके
तुझे ख़ुद पे शरम है क्या
गरीबों पे अत्याचार
बच्चियों का बलात्कार
ना रुकेगा ना तो
ना होगा ऐसा कोई चमत्कार
उंगली उठाते पर आवाज़ तो उठाओ
नोट सब छापे साले इज्ज़त कमाओ
बत्ती तुम जलाते खाली कदम बढ़ाते
अपने अन्दर के अँधेरे में वो बत्ती को जलाओ
आफ़ताब सी उड़ान क्यूँ
समाज बना चिलमन सा
लूटकर कर जो लथपथ
तू पूछता है जात उनका
तरकश में मज़हब ये
जब तक तराज़ू के
पीढ़ी की मौत होगी
घर्षण करे शंका, हाँ
ऐनक अवाम का है साफ नहीं देवी
हाँ सड़कों पे डर के क्यूँ काँप रही
साँप बनी छाती पे दहशत धरम की
तू खुद है मसीहा ये आँखें क्यूँ नम सी
साँप बनी छाती...
बातें बहुत हुईं...
तू भाई मुसलमान का तो
काय को लड़ते जात पे
इंसानियत है गुमशुदा
और साइको हम हालात से
और अपने लोगों को तो चाहिए जाति का वार
हाथी का दाँत
तू बोल मुझको किधर गायब इंसाफ
तभी मिलेगा जभी तू
अपने हक को बोलना शुरू करेगा
सच को खोलना सब के बारे में सोचना
अब तू नहीं डरेगा
अमीर के थाली में रोटी है चार
फ़कीर को नहीं है मिला प्रसाद
सब ठीक है तेरा तो बढ़ा व्यापार
कमज़ोर पे ऐसे ना डाल दबाव
चलो शुरू से शुरू करें हाल क्यूँ बेहाल है
ऐसे तो आज़ादी को हुए सत्तर साल हैं
हम आज़ाद ना फिर भी
कभी सुनते ना ख़ुद की
घर बैठे सोचेंगे मसले की तरकीब
कदम ले आगे तो पीछे ये खींचे
तू ज़्यादा सच उगले तो धरती के नीचे
अब नीचे ही रहना
हिम्मत से सहना
वो मारे वो पीटे
तू कुछ भी ना कहना
हर जाति से छोटी यहाँ औरत की जात
दे दे जीवन की डोर किसी और के हाथ
यहाँ प्राण जाए पर मान ना जाए
दौलत की लालच हड़पती दुआएँ
बातें बहुत हुईं...
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