Music By: वेद शर्मा
Lyrics By: कुणाल वर्मा
Performed By: वेद शर्मा, हर्ष लिम्बाचिया
काफ़िरा तो चल दिया उस सफ़र के संग
काफ़िरा तो चल दिया उस सफ़र के संग
मंजिलें ना डोर कोई ले के अपना रंग
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग
मैं मलंग हाय रे
मैं बैरागी साज़ी हूँ, ये भटकता मन
मैं बैरागी साज़ी हूँ, ये भटकता मन
अब कहाँ ले जायेगा, ये आवारापन
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग...
है नसीबों में सफर तो, मैं कहीं भी क्यूँ रुकूँ
है नसीबों में सफर तो, मैं कहीं भी क्यूँ रुकूँ
छोड़ के आया किनारे, बह सकूँ जितना बहूँ
दिन गुजरते ही रहे, यूँ ही बेमौसम
रास्ते थम जाए पर, रुक ना पाएँ हम
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग...
रूबरू खुद से हुआ हूँ, मुझमें मुझको तू मिला
हो, रूबरू खुद से हुआ हूँ, मुझमें मुझको तू मिला
बादलों के इस जहां में, आसमाँ तुझमें मिला
पिघली है अब रात भी, है सहर भी ये नम
नाखुदा में तो रहा, बन गया तू धरम
रहूँ मैं मलंग मलंग मलंग...
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