Music By: सचेत-परंपरा
Lyrics By: शब्बीर अहमद
Performed By: सचेत टंडन
फ़ासलों में बँट सके ना
हम जुदा हो के
मैं बिछड़ के भी रहा
पूरा तेरा हो के
फ़ासलों में बँट सके ना
हम जुदा हो के
मैं बिछड़ के भी रहा
पूरा तेरा हो के
क्यूँ मेरे क़दम को
आग का दरिया रोके
क्यूँ हमको मिलने से
ये दूरियाँ रोके
अब इश्क क्या तुमसे करें
हम सा कोई हो के
साँस भी ना ले सकें
तुमसे अलग हो के
मैं रहूँ कदमों का तेरे
हमसफ़र हो के
दर्द सारे मिट गए
हमदर्द जब से तू मिला
क्यूँ सब हमसे जल रहे हैं
क्यूँ हम उनको खल रहे हैं
हाँ ये कैसा जुनूँ सा है
हम ये किस राह चल रहे हैं
हाँ मेरी इस बात को
तुम ज़हन में रखना
दिल हूँ दरिया का मैं
तू मुझ पे ही बस चलना
हर जनम में इश्क बन के
ही मुझे मिलना
तेरी साँसों से है
मेरी धड़कनों के काफ़िले
फ़ासलों में बँट सके ना
हम जुदा हो के
मैं बिछड़ के भी रहा
पूरा तेरा हो के
मैं रहूँ
तेरी ज़मीं का आसमाँ हो के
मैं बिछड़ के भी रहा
पूरा तेरा हो के
और मैं नहीं हरगिज़
रहूँगा दास्ताँ हो के
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