Music By: रवि
Lyrics By: अल्लामा इकबाल
Performed By: सोना ठाकुर
सारे जहां से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, ये गुलिस्ताँ हमारा
सारे जहां से अच्छा...
परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा
सारे जहां से अच्छा...
गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा
सारे जहां से अच्छा...
मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम, वतन है, हिन्दोस्ताँ हमारा
सारे जहां से अच्छा...
अतिरिक्त
ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा
सारे जहां से अच्छा...
ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा, वो दिन है याद तुझको
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा
सारे जहां से अच्छा...
यूनान-ओ-मिस्र-ओ-रोमा, सब मिट गए जहां से
अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशाँ हमारा
सारे जहां से अच्छा...
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहां हमारा
सारे जहां से अच्छा...
'इक़बाल' कोई महरम, अपना नहीं जहां में
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा
सारे जहां से अच्छा...
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