तू जहाँ जहाँ चलेगा - Tu Jahan Jahan Chalega (Lata Mangeshkar, Mera Saaya)

Movie/Album: मेरा साया (1966)
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: राजा मेहदी अली खान
Performed By: लता मंगेशकर

तू जहाँ जहाँ चलेगा
मेरा साया साथ होगा
मेरा साया साथ होगा...

कभी मुझको याद करके, जो बहेंगे तेरे आँसू
तो वहीं पे रोक लेंगे, उन्हें आ के मेरे आँसू
तू जिधर का रुख करेगा
मेरा साया साथ होगा...

तू अगर उदास होगा, तो उदास हूँगी मैं भी
नज़र आऊँ या ना आऊँ, तेरे पास हूँगी मैं भी
तू कहीं भी जा रहेगा
मेरा साया साथ होगा...

मैं अगर बिछड़ भी जाऊँ, कभी मेरा ग़म न करना
मेरा प्यार याद करके, कभी आँख नम न करना
तू जो मुड़के देख लेगा
मेरा साया साथ होगा...

मेरा ग़म रहा है शामिल, तेरे दुख में, तेरे ग़म में
मेरे प्यार ने दिया है, तेरा साथ हर जनम में
तू कोई जनम भी लेगा
मेरा साया साथ होगा...

6 comments :

  1. it's a heart touching song.it really closer to me.....
    monalisa

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  2. बहुत सुंदर गाना है मदन मोहन का संगीत और लताजी कि आवाज और महेंदी अली खान कि कविता ये त्रिवेणी संगम है

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  3. wherever you will,
    be with my shadow
    my shadow ...

    ever remember me, your tears which Bhenge
    then the pay freeze will come to them my tears
    will turn to whither thou
    my shadow ...

    If you are depressed, so depressed drape I
    should come or not to come look, drape, to thee I
    will go anywhere you
    my shadow .. .

    I separated the go, do not ever my grief
    by remembering my love, do not ever moist eye
    turned and thou shalt see
    my shadow ...

    I include my grief, your suffering, in your time of sorrow
    is my love , be with you in every lifetime
    you will have no birth
    my shadow ...

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  4. Great song.even like it when my wife sings.

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  5. Very very good,meaningful,full of emotions,involvement.when ever,i listen to it,tears burst out from my eyes,I always remember the film Mera Saya,which gi8ves real feelings,as if sunil Dutt had lost his beloved wife Sadhana ji in the film.whata a film,what lyrics,& what a greatcomposition..!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!

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  6. .....मेरा साया साथ होगा...-
    आदरांजलि- स्‍वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर
    बसंतऋतु नवांकुरों की चैतन्‍यता का प्रतीक है। स्‍वर्णिम (हेमा अर्थात स्‍वर्ण, लता जी के बचपन का नाम) लता की यशकाया से आलौकित यह प्रकृति विश्‍व कल्‍याण के लिए कोलाहलपूर्ण संगीत से विरक्‍त मानवीय गुणों का सृजन कर उसके उत्‍सर्ग का आह्वान करती है। यह संयोग ही है कि जब देश ‘…कितना बदल गया इंसान.. के सर्जक महान कवि प्रदीप की जयंती मना रहा था तभी लता जी का स्‍वर अनन्‍त सागर में विलीन गया, लेकिन उसकी लहरें हमारी अशान्‍त तनावयुक्‍त और अवसादग्रस्‍त मन को उल्‍लास से रोमांचित करती रहेंगी। हमारी आजादी का उत्‍सव मनाने के लिए वाग्‍धारा की शक्ति, उसकी अनिवार्यता की पर्याय से किवदंती रहीं लता ने फिल्‍म महिती मंगलागौर के ‘नटकी चैगाची..’ गीत से इस जगत में पदार्पण किया। किताबी ज्ञान के विद्यालय से वंचित होने के बावजूद अल्‍पायु में ही रागपूरिया धनाश्री के रियाज से लता ने वह मुकाम हासिल कर लिया जिसमें पंडित कुमार गंधर्व को कहना पड़ा-‘जिस कण(लयकारी का सूक्ष्‍म भेद) या मुरकी को कण्‍ठ से व्‍यक्‍त करने में कुशल शास्त्रियों को आकाश-पाताल एक करने जैसी मशक्‍कत करनी पड़ती है, लता उसे सहजता ही पूर्ण करती हैं। उनके सुर से प्रभावित उनके गुरु उस्‍ताद बड़े गुलाम अली रियाज रोककर उनकी दाद देने को बाध्‍य होते हैं । गीतो की शाब्दिक शुचिता से उनका गहरा सरोकार था शायद इसलिए फिल्‍म ऑंखो-ऑंखों के एक गीत में ‘चोली’ शब्‍द की आपत्ति पर फिल्‍मकार जे ओमप्रकाश को गीत के बोल ही बदलने पड़े। जटिल धुनों के जादूगर सलिल चौधरी का ‘ओ...सजना, बरखा बहार...सहजतापूर्वक पूर्ण कर उन्‍हें विस्मित करने वाली लता ....गैरों पे करम...., प्रभु तेरो नाम.....जिन्‍दगी की न टूटे लड़ी ...जैसे गीतों में अपना लोहा मनवाया। जाहिर है इतनी बड़ी सखि्सयत का जीवन भी रहस्‍यों से अछूता नहीं रहा। शहीद जैसी फिल्‍मों के निर्माता शशधर की तरह बॉलीवुड के फ्यूजन किंग संगीतकार ओंकार प्रसाद नैयर भी लता के स्‍वर को मुफीद नहीं मानते। उन्‍हें उनकी आवाज में पाकीजगी(गांभीर्य, पवित्रता) की गुरता लेकिन शोखी का अभाव नजर आता है। हालांकि बाद में उन्‍होंने अपनी भूल स्‍वीकार की किंतु लता के स्‍वर के साथ अपना नाम अंकित कराने के गौरव से वे वंचित रह गये। राजस्‍थान के तत्‍कालीन राजपुत्र राजसिंह डूंगरपुर से निकटता के बावजूद उनके पिता की शाही परिवार में विवाह की इच्‍छा को महत्‍व देते हुए ताउम्र अविवाहित रहीं। महान गायक भूपेन्‍द्र हजारिका के साथ संबंधों को लेकर उनकी पत्‍नी प्रियंवदा के आरोप पर वे संयमित रहने लगीं।
    अपने अर्द्धशतक सुरयात्रा में 30 हजार से अधिक गीत व 35 से अधिक भाषाओं के अनुपम कीर्तिमान के साथ ‘मेरी आवाज ही पहचान है’.. की अनुगामी परम्‍परा छोड़कर इस नश्‍वर संसार से प्रयाण करने वाली वाग्‍धारा युगों-युगों तक हमारे मनश्‍पटलों पर जीवंत रहेंगी।
    राकेश कुमार वर्मा मो.7999682930

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