Movie/Album: अदालत (1958)
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: राजेंद्र कृषण
Performed By: लता मंगेशकर
यूँ हसरतों के दाग़ मुहब्बत में धो लिये
खुद दिल से दिल की बात कही और रो लिये
घर से चले थे हम तो खुशी की तलाश में
ग़म राह में खड़े थे वही साथ हो लिये
खुद दिल से...
मुरझा चुका है फिर भी ये दिल फूल ही तो है
अब आप की ख़ुशी से काँटों में सो लिये
खुद दिल से...
होंठों को सी चुके तो ज़माने ने ये कहा
ये चुप सी क्यों लगी है अजी कुछ तो बोलिये
खुद दिल से...
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: राजेंद्र कृषण
Performed By: लता मंगेशकर
यूँ हसरतों के दाग़ मुहब्बत में धो लिये
खुद दिल से दिल की बात कही और रो लिये
घर से चले थे हम तो खुशी की तलाश में
ग़म राह में खड़े थे वही साथ हो लिये
खुद दिल से...
मुरझा चुका है फिर भी ये दिल फूल ही तो है
अब आप की ख़ुशी से काँटों में सो लिये
खुद दिल से...
होंठों को सी चुके तो ज़माने ने ये कहा
ये चुप सी क्यों लगी है अजी कुछ तो बोलिये
खुद दिल से...
I agree "Hindi gaano ka maza hindi main hi hai"
ReplyDeleteइस गाने को सुनता रहा और आंसू बहाता रहा ।
ReplyDeleteबेशक ।
DeleteOld is gold, admire lyricist for the beautiful compositon
ReplyDeleteThanks urdu language for the lovely lyrics
ReplyDeleteन हसरत ही थी कोई उनको पाने की , .
ReplyDeleteमगर है मोहब्बत बहुत मुझे उनसे .
आरज़ू में न जाने फिर क्यों रहती है वो मेरी.
इक प्यास बन कर .
अब आपकी खुशी इसे कांटो में तोलिए। ये लाइन होनी चाहिए थी
ReplyDeleteक्या बात है भाइ ।
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