संसार है इक नदिया - Sansar Hai Ik Nadiya (Mukesh, Asha, Raftaar)

Movie/Album: रफ़्तार (1975)
Music By: सोनिक-ओमी
Lyrics By: अभिलाष
Performed By: मुकेश, आशा भोंसले

संसार है इक नदिया, दुःख-सुख दो किनारे हैं
ना जाने कहाँ जाएँ, हम बहते धारे हैं
संसार है इक नदिया...

चलते हुए जीवन की, रफ़्तार में इक लय है
इक राग में एक सुर में, सँसार की हर शय है
इकतार पे गर्दिश में, ये चाँद सितारे हैं
ना जाने कहाँ...

धरती पे अम्बर की, आँखों से बरसती है
इक रोज़ यही बूँदें, फिर बादल बनती हैं
इस बनने बिगड़ने के, दस्तूर में सारे हैं
ना जाने कहाँ...

कोई भी किसी के लिए, अपना न पराया है
रिश्तों के उजाले में, हर आदमी साया है
कुदरत की भी देखो तो, ये खेल निराले हैं
ना जाने कहाँ...

है कौन वो दुनिया में, ना पाप किया जिसने
बिन उलझे काँटों से, हैं फूल चुने किसने
बेदाग नहीं कोई, यहाँ पापी सारे हैं
ना जाने कहाँ...

1 comment :

  1. This world is like a river with 2 sides.. one is happiness and the other is sadness..

    we don't know which side to go.. we are like flowing tides


    this moving life has a rhythm
    This world is contained in one raag, in one tone..
    on one single wire in this space.. there are these stars and moon..


    on the land, the sky's eyes rains..
    these drops one day again become clouds..
    this formation and deformation is a way of world..


    no one is mine, no one is alien here..
    in relationship's light, every person is just a reflection
    u see, its such a wonderful game by almighty

    who in this world hasnt committed a single sin?
    who has plucked flowers without getting hurt from thorns?
    no one is pure, everyone is sinful

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