Movie/Album: दस्तक (1970)
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: मो.रफ़ी
तुमसे कहूँ इक बात परों सी हल्की-हल्की
रात मेरी है छाँव तुम्हारे ही आँचल की
तुमसे कहूँ इक बात...
सोई गलियाँ बाँह पसारे आँखें मीचे
मैं दुनिया से दूर घनी पलकों के नीचे
देखूँ चलते ख़्वाब लकीरों पर काजल की
तुमसे कहूँ इक बात...
धुंधली-धुंधली रैन मिलन का बिस्तर जैसे
खुलता छुपता चाँद सेज के ऊपर जैसे
चलती फिरती खाट हवाओं पर बादल की
तुमसे कहूँ इक बात...
है भीगा सा जिस्म तुम्हारा इन हाथों में
बाहर नींद भरा पंछी भीगी शाखों में
और बरखा की बूंद बदन से ढलकी-ढलकी
तुमसे कहूँ इक बात...
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: मो.रफ़ी
तुमसे कहूँ इक बात परों सी हल्की-हल्की
रात मेरी है छाँव तुम्हारे ही आँचल की
तुमसे कहूँ इक बात...
सोई गलियाँ बाँह पसारे आँखें मीचे
मैं दुनिया से दूर घनी पलकों के नीचे
देखूँ चलते ख़्वाब लकीरों पर काजल की
तुमसे कहूँ इक बात...
धुंधली-धुंधली रैन मिलन का बिस्तर जैसे
खुलता छुपता चाँद सेज के ऊपर जैसे
चलती फिरती खाट हवाओं पर बादल की
तुमसे कहूँ इक बात...
है भीगा सा जिस्म तुम्हारा इन हाथों में
बाहर नींद भरा पंछी भीगी शाखों में
और बरखा की बूंद बदन से ढलकी-ढलकी
तुमसे कहूँ इक बात...
What a lovely song
ReplyDeleteMadan-rafi great combination