Movie/Album: दस्तक (1970)
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: लता मंगेशकर
हम हैं मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह
उठती है हर निगाह खरीदार की तरह
वो तो कहीं हैं और मगर दिल के आस पास
फिरती है कोई शह निगाह-ए-यार की तरह
हम हैं मता-ए-कूचा...
मजरूह लिख रहे हैं वो अहल-ए-वफ़ा का नाम
हम भी खड़े हुए हैं गुनहगार की तरह
हम हैं मता-ए-कूचा...
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: लता मंगेशकर
हम हैं मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह
उठती है हर निगाह खरीदार की तरह
वो तो कहीं हैं और मगर दिल के आस पास
फिरती है कोई शह निगाह-ए-यार की तरह
हम हैं मता-ए-कूचा...
मजरूह लिख रहे हैं वो अहल-ए-वफ़ा का नाम
हम भी खड़े हुए हैं गुनहगार की तरह
हम हैं मता-ए-कूचा...
Zbrdst
ReplyDeletewhat is the meaning of mata e koocha?
ReplyDeleteबाजार में बिकने वाली वस्तु।
DeleteLike a product or commodity.
DeleteMata basically means goods or property.. Mata e koocha o bazaar would mean like goods for sale in street side bazaar.. Poet is comparing self with goods for sale at which everyone looks like a prospective buyer..
ReplyDeleteNice description
Deleteहम हैं मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह - बाज़ार में बिकने वाली वस्तु ही हैं हम, ये एक स्त्री कह रही है कि ये समाज स्त्रियों को बाज़ार की वस्तु से ज्यादा समझता ही नहीं। समाज, पुरुष स्त्री का अस्तित्व स्वीकार ही नहीं करता है। वह स्त्री को या तो 'अपनी' माँ समझेगा, बेटी समझेगा, पत्नी समझेगा, girlfriend या कुछ भी समझेगा लेकिन वह स्त्री को सर्वप्रथम एक स्त्री नहीं समझेगा। वो सारे अधिकार, हक़, विकसित होने के मौके जो पुरुष को मिलते हैं वे स्त्रियों को कहाँ मिलते हैं। सदा से उनको बाज़ार की वस्तु ही समझा है - "कन्यादान"! दान की वस्तु ही समझा है, इस घर से उस घर, और उस घर की भी संपत्ति या इज़्ज़त। मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह। हर निगाह खरीदार की तरह ही उठती है- किसी तरह से उपयोग कर लो। गीत बहुत गहरा है sir, सस्ती poetry नहीं है यह।
ReplyDeletenice sher
ReplyDeleteZabardast
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