Movie/Album: क़यामत से क़यामत तक (1988)
Music By: आनंद मिलिंद
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: उदित नारायण, अलका याग्निक
अकेले हैं, तो क्या ग़म है
चाहें तो हमारे बस में क्या नहीं
बस इक ज़रा, साथ हो तेरा
तेरे तो हैं हम, कब से सनम
अकेले हैं...
अब ये नहीं सपना, ये सब है अपना
ये जहाँ, प्यार का
छोटा सा ये आशियाँ बहार का
बस इक ज़रा...
फिर नहीं टूटेगा, हम पे कोई तूफां
साजना, देखना
हर तूफ़ां का मैं करूंगी सामना
बस इक ज़रा...
अब तो मेरे साजन बीतेगा हर दिन
प्यार की, बाहों में
रंग जाएगी रुत तेरी अदाओं में
बस इक ज़रा...
Music By: आनंद मिलिंद
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: उदित नारायण, अलका याग्निक
अकेले हैं, तो क्या ग़म है
चाहें तो हमारे बस में क्या नहीं
बस इक ज़रा, साथ हो तेरा
तेरे तो हैं हम, कब से सनम
अकेले हैं...
अब ये नहीं सपना, ये सब है अपना
ये जहाँ, प्यार का
छोटा सा ये आशियाँ बहार का
बस इक ज़रा...
फिर नहीं टूटेगा, हम पे कोई तूफां
साजना, देखना
हर तूफ़ां का मैं करूंगी सामना
बस इक ज़रा...
अब तो मेरे साजन बीतेगा हर दिन
प्यार की, बाहों में
रंग जाएगी रुत तेरी अदाओं में
बस इक ज़रा...
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