Movie/Album: दो कलियाँ (1968)
Music By: रवि
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: लता मंगेशकर, मो.रफ़ी
तुम्हारी नज़र क्यूँ खफ़ा हो गई
खता बख्श दो गर खता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी खता खुद सज़ा हो गई
सज़ा ही सही आज कुछ तो मिला है
सज़ा में भी इक प्यार का सिलसिला है
मोहब्बत का अब कुछ भी अंजाम हो
मुलाकात की इफ्तिदा हो गई
तुम्हारी नज़र क्यों खफ़ा...
मुलाकात पर इतने मगरूर क्यों हो
हमारी खुशामद पे मजबूर क्यों हो
मनाने की आदत कहाँ पड़ गई
सताने की तालीम क्या हो गई
तुम्हारी नज़र क्यूँ खफ़ा...
सताते ना हम तो मनाते ही कैसे
तुम्हें अपने नज़दीक लाते ही कैसे
इसी दिन का चाहत को अरमान था
क़ुबूल आज दिल की दुआ हो गई
तुम्हारी नज़र क्यूँ खफ़ा...
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तुम्हारी नज़र क्यूँ खफ़ा हो गई
खता बख्श दो गर खता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी खता खुद सज़ा हो गई
सज़ा कुछ भी दो पर खता तो बता दो
मेरी बेगुनाही का कुछ तो सिला दो
मेरे दिल के मालिक मेरे देवता
बस अब ज़ुल्म की इन्तेहा हो गई
हमारा इरादा तो...
Music By: रवि
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: लता मंगेशकर, मो.रफ़ी
तुम्हारी नज़र क्यूँ खफ़ा हो गई
खता बख्श दो गर खता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी खता खुद सज़ा हो गई
सज़ा ही सही आज कुछ तो मिला है
सज़ा में भी इक प्यार का सिलसिला है
मोहब्बत का अब कुछ भी अंजाम हो
मुलाकात की इफ्तिदा हो गई
तुम्हारी नज़र क्यों खफ़ा...
मुलाकात पर इतने मगरूर क्यों हो
हमारी खुशामद पे मजबूर क्यों हो
मनाने की आदत कहाँ पड़ गई
सताने की तालीम क्या हो गई
तुम्हारी नज़र क्यूँ खफ़ा...
सताते ना हम तो मनाते ही कैसे
तुम्हें अपने नज़दीक लाते ही कैसे
इसी दिन का चाहत को अरमान था
क़ुबूल आज दिल की दुआ हो गई
तुम्हारी नज़र क्यूँ खफ़ा...
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तुम्हारी नज़र क्यूँ खफ़ा हो गई
खता बख्श दो गर खता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी ना था
तुम्हारी खता खुद सज़ा हो गई
सज़ा कुछ भी दो पर खता तो बता दो
मेरी बेगुनाही का कुछ तो सिला दो
मेरे दिल के मालिक मेरे देवता
बस अब ज़ुल्म की इन्तेहा हो गई
हमारा इरादा तो...
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