Movie/Album: हमारी याद आएगी (1961)
Music By: स्नेहल भाटकर
Lyrics By: केदार शर्मा
Performed By: मुकेश
फरिश्तों की नगरी में मैं
आ गया हूँ, मैं
आ गया हूँ
फरिश्तों की नगरी में
ये रानाइयाँ
देख चकरा गया हूँ मैं
आ गया हूँ मैं
आ गया हूँ...
यहाँ बसने वाले, बड़े ही निराले
बड़े सीधे सादे, बड़े भोले भाले
पति-पत्नी मेहनत से करते है खेती
तो दादा को पोती, सहारा है देती
यहाँ शीरी फरहाद कंधा मिलाकर
है ले आते झीलों से नदिया बहाकर
ये चांदी की नदिया, बहे जा रही है
कुछ अपनी जुबां में, कहे जा रही है
फरिश्तों की नगरी में...
कन्हैया चला, ढोर बन में चराने
तो राधा चली, साथ बसी बजाने
बजी बांसुरी, नीर आँखों से छलका
मुझे हो गया है, नशा हल्का हल्का
परिंदे मेरे साथ गाने लगे हैं
इशारों से बादल बुलाने लगे हैं
हँसी देख कर मुस्कुराने लगे हैं
कदम अब मेरे डगमगाने लगे हैं
फरिश्तों की नगरी में...
अरे वाह लगा है, यहाँ कोई मेला
तो फिर इस तरह मैं, फिरूँ क्यों अकेला
मैं झूले पे बैठूँगा, चूसूँगा गन्ना
किसी का तो हूँ मैं भी हरियाला बन्ना
ओ भैया जी लो ये, दुअन्नी संभालो
चलो मामा उतरो, मुझे बैठने दो
फरिश्तों की नगरी में...
यहाँ बसने वाले, बड़े ही निराले
बड़े प्यारे-प्यारे, बड़े भोले भाले
मुझे डर है हो जाए दिल की न छुट्टी
लो मैं इनको भूला, चलो इनसे कुट्टी
ये ठण्डे पसीने जो आने लगे हैं
कदम इस तरह डगमगाने लगे हैं
फरिश्तों की नगरी में...
Music By: स्नेहल भाटकर
Lyrics By: केदार शर्मा
Performed By: मुकेश
फरिश्तों की नगरी में मैं
आ गया हूँ, मैं
आ गया हूँ
फरिश्तों की नगरी में
ये रानाइयाँ
देख चकरा गया हूँ मैं
आ गया हूँ मैं
आ गया हूँ...
यहाँ बसने वाले, बड़े ही निराले
बड़े सीधे सादे, बड़े भोले भाले
पति-पत्नी मेहनत से करते है खेती
तो दादा को पोती, सहारा है देती
यहाँ शीरी फरहाद कंधा मिलाकर
है ले आते झीलों से नदिया बहाकर
ये चांदी की नदिया, बहे जा रही है
कुछ अपनी जुबां में, कहे जा रही है
फरिश्तों की नगरी में...
कन्हैया चला, ढोर बन में चराने
तो राधा चली, साथ बसी बजाने
बजी बांसुरी, नीर आँखों से छलका
मुझे हो गया है, नशा हल्का हल्का
परिंदे मेरे साथ गाने लगे हैं
इशारों से बादल बुलाने लगे हैं
हँसी देख कर मुस्कुराने लगे हैं
कदम अब मेरे डगमगाने लगे हैं
फरिश्तों की नगरी में...
अरे वाह लगा है, यहाँ कोई मेला
तो फिर इस तरह मैं, फिरूँ क्यों अकेला
मैं झूले पे बैठूँगा, चूसूँगा गन्ना
किसी का तो हूँ मैं भी हरियाला बन्ना
ओ भैया जी लो ये, दुअन्नी संभालो
चलो मामा उतरो, मुझे बैठने दो
फरिश्तों की नगरी में...
यहाँ बसने वाले, बड़े ही निराले
बड़े प्यारे-प्यारे, बड़े भोले भाले
मुझे डर है हो जाए दिल की न छुट्टी
लो मैं इनको भूला, चलो इनसे कुट्टी
ये ठण्डे पसीने जो आने लगे हैं
कदम इस तरह डगमगाने लगे हैं
फरिश्तों की नगरी में...
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