Movie/Album: मरासिम (2000), पिंजर (2003)
Music By: जगजीत सिंह, उत्तम सिंह
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: जगजीत सिंह, प्रीती उत्तम
मरासिम
हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हें नहीं तोड़ा करते
जिसकी आवाज़ में सिलवट हो, निगाहों में शिकन
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते
शहद जीने का मिला करता है थोड़ा-थोड़ा
जाने वालों के लिए दिल नहीं थोड़ा करते
लग के साहिल से जो बहता है उसे बहने दो
ऐसे दरिया का कभी रुख़ नहीं मोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हें नहीं तोड़ा करते
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
पिंजर
हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हें नहीं टूटा करते
हाथ छूटे भी तो...
(छूट गए यार, न छूटी यारी मौला)
जिसने पैरों के निशाँ भी नहीं छोड़े पीछे
उस मुसाफ़िर का पता भी नहीं पूछा करते
हाथ छूटे भी तो...
(छूट गए यार, न छूटी यारी मौला)
तूने आवाज़ नहीं दी कभी मुड़ कर वरना
हम कई सदियाँ तुझे घूम के देखा करते
हाथ छूटे भी तो...
(छूट गए यार, न छूटी यारी मौला)
बह रही है तेरी जानिब ही ज़मीं पैरों की
थक गए दौड़ते दरियाओं का पीछा करते
हाथ छूटे भी तो...
Music By: जगजीत सिंह, उत्तम सिंह
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: जगजीत सिंह, प्रीती उत्तम
मरासिम
हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हें नहीं तोड़ा करते
जिसकी आवाज़ में सिलवट हो, निगाहों में शिकन
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नहीं जोड़ा करते
शहद जीने का मिला करता है थोड़ा-थोड़ा
जाने वालों के लिए दिल नहीं थोड़ा करते
लग के साहिल से जो बहता है उसे बहने दो
ऐसे दरिया का कभी रुख़ नहीं मोड़ा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हें नहीं तोड़ा करते
हाथ छूटें भी तो रिश्ते नहीं छोड़ा करते
पिंजर
हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते
वक़्त की शाख़ से लम्हें नहीं टूटा करते
हाथ छूटे भी तो...
(छूट गए यार, न छूटी यारी मौला)
जिसने पैरों के निशाँ भी नहीं छोड़े पीछे
उस मुसाफ़िर का पता भी नहीं पूछा करते
हाथ छूटे भी तो...
(छूट गए यार, न छूटी यारी मौला)
तूने आवाज़ नहीं दी कभी मुड़ कर वरना
हम कई सदियाँ तुझे घूम के देखा करते
हाथ छूटे भी तो...
(छूट गए यार, न छूटी यारी मौला)
बह रही है तेरी जानिब ही ज़मीं पैरों की
थक गए दौड़ते दरियाओं का पीछा करते
हाथ छूटे भी तो...
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