Movie/Album: ग़ज़ल (1964)
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: मोहम्मद रफ़ी
इश्क़ की गर्मी-ए-जज़्बात किसे पेश करूँ
ये सुलगते हुए दिन-रात किसे पेश करूँ
हुस्न और हुस्न का हर नाज़ है पर्दे में अभी
अपनी नज़रों की शिकायात किसे पेश करूँ
इश्क़ की गर्मी-ए
तेरी आवाज़ के जादू ने जगाया है जिन्हें
वो तस्सव्वुर, वो ख़यालात किसे पेश करूँ
इश्क़ की गर्मी-ए
ऐ मेरी जान-ए-ग़ज़ल, ऐ मेरी ईमान-ए-ग़ज़ल
अब सिवा तेरे ये नग़मात किसे पेश करूँ
इश्क़ की गर्मी-ए
कोई हमराज़ तो पाऊँ, कोई हमदम तो मिले
दिल की धड़कन के इशारात किसे पेश करूँ
इश्क़ की गर्मी-ए...
Music By: मदन मोहन
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: मोहम्मद रफ़ी
इश्क़ की गर्मी-ए-जज़्बात किसे पेश करूँ
ये सुलगते हुए दिन-रात किसे पेश करूँ
हुस्न और हुस्न का हर नाज़ है पर्दे में अभी
अपनी नज़रों की शिकायात किसे पेश करूँ
इश्क़ की गर्मी-ए
तेरी आवाज़ के जादू ने जगाया है जिन्हें
वो तस्सव्वुर, वो ख़यालात किसे पेश करूँ
इश्क़ की गर्मी-ए
ऐ मेरी जान-ए-ग़ज़ल, ऐ मेरी ईमान-ए-ग़ज़ल
अब सिवा तेरे ये नग़मात किसे पेश करूँ
इश्क़ की गर्मी-ए
कोई हमराज़ तो पाऊँ, कोई हमदम तो मिले
दिल की धड़कन के इशारात किसे पेश करूँ
इश्क़ की गर्मी-ए...
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