Music By: आनंद भास्कर
Lyrics By: गिन्नी दीवान
Performed By: आनंद भास्कर
जला-जला सहरा है
साया हुआ गहरा है
है हर जगह रात ही रात ये
लौटी नहीं फिर सुबह है
ज़ख्म भरा कुरेदो ना
बुझी ये राख जला लो ना
तन्हा हैं सन्नाटे, डरते हैं ये खुद से
उलझे हैं ये जज़्बे, अपने ही जाल में
ज़ख्म भरा कुरेदो ना
बुझी ये राख जला लो ना
ज़ख्म भरा कुरेदो ना
यादों से आग जला लो ना
दर्द को कहीं थमा दे आज
युद्ध से तू भी मिला ले आँख
दर्द को कहीं हरा दे आज
मंज़िलों को भी दिखा दे राह
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