Music By: रोचक कोहली
Lyrics By: मनोज मुंतशिर
Performed By: जुबिन नौटियाल, रोचक कोहली
जब तेरे करीब थे, कितने खुशनसीब थे
रातें सब चरागों वाली, सारे दिन ही ईद थे
चाहतें थीं चाँद पर, दूरियों की क्या फिकर
जैसे लफ़्ज़ और बातें, ऐसे नज़दीक थे
तेरी जुदाइयों में, बरसे वो नैना भी
सागर से मिल के, जिनको रुला ना पाये
तुझे भूलना तो चाहा, लेकिन भुला ना पाये
तुझे भूलना तो चाहा, लेकिन भुला ना पाये
जितना भुलाना चाहा, जितना भुलाना चाहा
तुम उतना याद आये
तुझे भूलना तो चाहा, लेकिन भुला ना पाये
तुझे भूलना तो चाहा, लेकिन भुला ना पाये
जिस रात आँखें सोएँ सकून से
वो रात आती क्यूँ नहीं
जिस रात आँखें सोएँ सकून से
वो रात आती क्यूँ नहीं
पिछले बरस तू बाहों से जा चुकी
तो दिल से जाती क्यूँ नहीं
हाँ क्यूँ तेरी यादों को अब तक संभाला है
तस्वीर तेरी हम क्यूँ जला न पाये
तुझे भूलना तो चाहा...
बुझने लगा है दिल, ख़्वाबों में कैसे ये
बैरन हवाएँ मैं करूँ
अब किसके आगे मैं, खोलूँ हथेली ये
किससे दुआएँ मैं करूँ
कोई खुदा है तो, मजबूर क्यूँ है वो
बिछड़े दिलों को वो क्यूँ मिला ना पाये
तुझे भूलना तो चाहा...
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