Music By: सलिल चौधरी
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: लता मंगेशकर
जा रे, जा रे उड़ जा रे पंछी
बहारों के देस जा रे
यहाँ क्या है मेरे प्यारे
क्यूँ उजड़ गई बगिया मेरे मन की
जा रे...
ना डाली रही ना कली
अजब ग़म की आँधी चली
उड़ी दुःख की धूल राहों में
जा रे, ये गली है बिरहन की
बहारों के देस जा रे...
मैं वीणा उठा ना सकी
तेरे संग गा न सकी
ढले मेरे गीत आहों में
जा रे, ये गली है असुँअन की
बहारों के देस जा रे...
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