Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: मेराज फ़ैज़ाबादी
Performed By: जगजीत सिंह
तेरे बारे में जब सोचा नहीं था
मैं तन्हा था, मगर इतना नहीं था
तेरे बारे में जब सोचा नहीं था
तेरी तस्वीर से करता था बातें
मेरे कमरे में आईना नहीं था
मैं तन्हा था मगर...
समंदर ने मुझे प्यासा ही रखा
मैं जब सहरा में था, प्यासा नहीं था
मैं तन्हा था मगर...
मनाने रूठने के खेल में हम
बिछड़ जाएँगे ये सोचा नहीं था
मैं तन्हा था मगर...
सुना है बंद कर ली उसने आँखें
कई रातों से वो सोया नहीं था
मैं तन्हा था मगर...
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