Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: नज़ीर बाक़री
Performed By: जगजीत सिंह
याद नहीं क्या क्या देखा था
सारे मंज़र भूल गए
उसकी गलियों से जब लौटे
अपना भी घर भूल गए
याद नहीं, याद नहीं
खूब गए परदेस कि अपने
दीवार-ओ-दर भूल गए
शीशमहल ने ऐसा घेरा
मिट्टी के घर भूल गए
उसकी गलियों से...
तुझको भी जब अपनी कसमें
अपने वादे याद नहीं
हम भी अपने ख़्वाब तेरी
आँखों में रखकर भूल गए
उसकी गलियों से...
मुझको जिन्होंने क़त्ल किया है
कोई उन्हें बतलाए नज़ीर
मेरी लाश के पहलू में वो
अपना खंजर भूल गए
उसकी गलियों से...
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