Music by: जगजीत सिंह
Lyrics by: फराग़ रूहवी
Performed by: जगजीत सिंह, चित्रा सिंह
देखा जो आईना तो मुझे सोचना पड़ा
ख़ुद से न मि ल सका तो मुझे सोचना पड़ा
उसका जो ख़त मिला तो मुझे सोचना पड़ा
अपना सा वो लगा तो मुझे सोचना पड़ा
मुझको था ये गुमाॅं कि मुझ ही में है एक अना
देखी तेरी अना तो मुझे सोचना पड़ा
दुनिया समझ रही थी कि नाराज़ मुझसे है
लेकिन वो जब मिला तो मुझे सोचना पड़ा
एक दिन वो मेरे ऐब गिनाने लगा 'फराग़'
जब ख़ुद ही थक गया तो मुझे सोचना पड़ा
देखा जो आईना...
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