Music By: हरिहरन
Lyrics By: डाॅ. सफ़ी हसन
Performed By: हरिहरन, ज़ाकिर हुसैन
मरीज़-ए-इश्क़ का क्या है, जिया जिया न जिया
है एक साॅंस का झगड़ा, लिया लिया न लिया
मरीज़-ए-इश्क़ का क्या है...
बदन ही आज अगर तार-तार है मेरा
तो एक चाक-ए-गरेबाॅं सिया सिया न सिया
मरीज़-ए-इश्क़ का क्या है...
ये और बात के तू हर रहे ख़याल में है
के तेरा नाम ज़बाॅं से लिया लिया न लिया
मरीज़-ए-इश्क़ का क्या है...
मेरे ही नाम पे आया है जाम महफ़िल में
ये और बात के मैंने पिया पिया न पिया
मरीज़-ए-इश्क़ का क्या है...
ये हाल-ए-दिल है 'सफ़ी' मैं तो सोचता ही नहीं
के क्यूॅं किसी ने सहारा दिया दिया न दिया
मरीज़-ए-इश्क़ का क्या है...
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