Music By: जगजीत सिंह
Lyrics By: गुलज़ार
Performed By: जगजीत सिंह
ज़िन्दगी क्या है जानने के लिए
ज़िन्दा रहना बहुत ज़रूरी है
आज तक कोई भी रहा तो नहीं
सारी वादी उदास बैठी है
मौसम-ए-गुल ने ख़ुदकशी कर ली
किसने बारूद बोया बागों में
आओ हम सब पहन ले आईने
सारे देखेंगे अपना ही चेहरा
सबको सारे हसीं लगेंगे यहाॅं
है नहीं जो दिखाई देता है
आईने पर छपा हुआ चेहरा
तर्जुमा आईने का ठीक नहीं
हमको ग़ालिब ने ये दुआ दी थी
तुम सलामत रहो हज़ार बरस
ये बरस तो फ़क़त दिनों में गया
लब तेरे मीर ने भी देखे हैं
पॅंखड़ी इक ग़ुलाब की सी है
बातें सुनते तो ग़ालिब हो जाते
ऐसे बिखरे हैं रात दिन जैसे
मोतियों वाला हर टूट गया
तुमने मुझको पिरो के रखा था
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