Lyrics By: मधुकर राजस्थानी
Performed By: मन्ना डे
सुनसान जमना का किनारा, प्यार का अंतिम सहारा
चांदनी का कफन ओढ़े, सो रहा किस्मत का मारा
किससे पूछूँ मैं भला अब
देखा कहीं मुमताज़ को
मेरी भी इक मुमताज़ थी
पत्थरों की ओट में महकी हुई तन्हाइयाँ कुछ नहीं कहतीं
डालियों की झूमती और डोलती परछाइयाँ कुछ नहीं कहतीं
खेलती साहिल पे लहरें ले रही अंगड़ाइयाँ कुछ नहीं कहतीं
ये जान के चुपचाप हैं मेरे मुकद्दर की तरह
हमने तो इनके सामने खोला है दिल के राज़ को
किससे पूछूँ मैं भला...
ये ज़मीं की गोद में कदमों का धुंधला सा निशाँ, खामोश है
ये रूपहला आसमाँ, मद्धम सितारों का जहां, खामोश है
ये खूबसूरत रात का खिलता हुआ गुलशन जवाँ, खामोश है
रंगीनियाँ मदहोश हैं अपनी खुशी में डूबकर
किस तरह इनको सुनाऊँ अब मेरी आवाज़ को
किससे पूछूँ मैं भला...
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