Music By: हरिहरन
Lyrics By: अनवर फर्रुखाबादी
Performed By: हरिहरन
वो पिलाए तो ज़रा लहरा के पीना चाहिए
दोस्ती के नाम पर छलका के पीना चाहिए
वो पिलाए तो...
जब घटा छाए तो ज़ुल्फ़ों की महकती छाॅंव में
उनके होठों की क़सम खा-खा के पीना चाहिए
दोस्ती के नाम...
ये जवाॅं मौसम ये भीगी रात ये ठंडी हवा
आज तो महबूब के घर जा के पीना चाहिए
दोस्ती के नाम...
मय भी है साक़ी भी है, साग़र भी है मीना भी है
अब तो उनको भी मेरे पास आ के पीना चाहिए
दोस्ती के नाम...
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