Music By: प्रीतम
Lyrics By: आशीष पंडित
Performed By: बेनी दयाल
इसी उमर में तो करता है दिल
ख्वाहिशें गिरने फिसलने की
अरे ये भी कोई उमर है क्या
संभलने की
यही जवानी बन जानी है वजह
बेवजह इतना कि चलने की
अरे ये भी कोई उमर है क्या
संभलने की
हो लोगों के डर से
हम अपने दिल की
मस्ती क्यूँ खोने दें
हरकत से अपनी नाराज़ दुनिया
होती है होने दे
बिगड़ने दे हमें ज़रा
सुधर के क्या करेंगे हम
बिगड़ने दे जो दिल में आएगा
वही करेंगे हम
बिगड़ने दे हमें ज़रा
सुधर के क्या करेंगे हम
बिगड़ने दे किसी के बाप से
नहीं डरेंगे हम
बिगड़ने दे...
सीधा सरल है ये फलसफा
मिले जो खुशियाँ रख ले
गम को कर दफा
बस ये जो पल है, है काम का
इसके अलावा
सब बेमतलब, खामखाँ
हो आवारगी, अय्याशियों में
शामें डुबोने दे
हरकत से अपनी नाराज़ दुनिया
होती है होने दे
बिगड़ने दे...
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