Music By: शंकर-एहसान-लॉय
Lyrics By: जावेद अख़्तर
Performed By: सिद्धार्थ महादेवन
रग रग में बहता लावा याद का
गुस्सा है या गम है, क्या पता
जो है नामुमकिन
वही करना है इक दिन
अब तो यही है इन्तेहान तेरा
है जो गम तेरा, दिल में ही छुपा
अपनी ताकत उसे तू बना
आगे दीवार है, चलना दुश्वार है
इक ठोकर में उसको गिरा
तूफाँ, पर्वत को तोड़ दे
तूफाँ, दरिया को मोड़ दे
तूफाँ, सूरज निचोड़ दे
तूफाँ हो हो हो
तूफाँ, हाथों में बिजलियाँ
तूफाँ, जुम्बिश में आंधियाँ
तूफाँ, लेकर चला कहाँ
हो हो हो
चल ले के ये जुनूँ, वादा पूरा करूँ
जो तूने खुद से ही था किया
दुश्मन हो आसमाँ
या के सारा जहां
तू है कौन अब ये सबको दिखा
तूफाँ...
दिल में कोई आग फिर से जागी है
तन में सोया लहू आँखें मलता है
इक ज़िद अपना रास्ता ढूँढ रही है
तूफाँ जो थाम सा गया था
फिर चलता है
तूफाँ...
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