Movie/Album: गुलाल (2009)
Music By: पियूष मिश्रा
Lyrics By: पियूष मिश्रा
Performed By: पियूष मिश्रा
ओ री दुनिया
सुरमई आँखों के प्यालों की दुनिया
सतरंगी रंगों गुलालों की दुनिया..ओ दुनिया
अलसाई सेजों के फूलों की दुनिया
अंगड़ाई तोड़े कबूतर की दुनिया
करवट ले सोयी हक़ीक़त की दुनिया
दीवानी होती तबीयत की दुनिया
ख्वाहिश में लिपटी ज़रुरत की दुनिया
इन्सां के सपनों की नीयत की दुनिया..ओ दुनिया
ओ री दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है…
ममता की बिखरी कहानी की दुनिया
बहनों की सिसकी जवानी की दुनिया
आदम के हव्वा से रिश्ते की दुनिया
शायर के फ़ीके लफ़्ज़ों की दुनिया
ग़ालिब के, मोमिन के, ख़्वाबों की दुनिया
मजाज़ों के उन इन्कलाबों की दुनिया
फैज़ फिराक ओ साहिर ओ मखदूम
मीर की ज़ौक की दागों की दुनिया
ये दुनिया अगर…
पल छीन में बातें चली जाती हैं
पल छीन में रातें चली जाती हैं
रह जाता है जो सवेरा वो ढूंढे
जलते मकां में बसेरा वो ढूंढे
जैसी बची है वैसी की वैसी बचा लो ये दुनिया
अपना समझके अपनों के जैसी उठालो ये दुनिया
छुट पुट सी बातों में जलने लगेगी संभालो ये दुनिया…
कट पिट के रातों में पलने लगेगी संभालो ये दुनिया..
ओ री दुनिया…
वो कहे हैं की दुनिया ये इतनी नहीं है
सितारों से आगे जहां और भी है
ये हम ही नहीं हैं वहाँ और भी है
हमारी हर एक बात होती वहीं है
हमें ऐतराज़ नहीं है कहीं भी
वो आलिम हैं फ़ाज़िल हैं होंगे सही ही
मगर फ़लसफ़ा ये बिगड़ जाता है
जो वो कहते हैं
आलिम ये कहता वहाँ इश्वर है
फ़ाज़िल ये कहता वहाँ अल्लाह है
काबुर ये कहता वहाँ इसा है
मंजिल ये कहती तब इंसान से की
तुम्हारी है तुम ही सम्भालों ये दुनिया
ये बुझते हुए चंद बासी चरागों
तुम्हारे ये काले इरादों की दुनिया…
ओ री दुनिया
Music By: पियूष मिश्रा
Lyrics By: पियूष मिश्रा
Performed By: पियूष मिश्रा
ओ री दुनिया
सुरमई आँखों के प्यालों की दुनिया
सतरंगी रंगों गुलालों की दुनिया..ओ दुनिया
अलसाई सेजों के फूलों की दुनिया
अंगड़ाई तोड़े कबूतर की दुनिया
करवट ले सोयी हक़ीक़त की दुनिया
दीवानी होती तबीयत की दुनिया
ख्वाहिश में लिपटी ज़रुरत की दुनिया
इन्सां के सपनों की नीयत की दुनिया..ओ दुनिया
ओ री दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है…
ममता की बिखरी कहानी की दुनिया
बहनों की सिसकी जवानी की दुनिया
आदम के हव्वा से रिश्ते की दुनिया
शायर के फ़ीके लफ़्ज़ों की दुनिया
ग़ालिब के, मोमिन के, ख़्वाबों की दुनिया
मजाज़ों के उन इन्कलाबों की दुनिया
फैज़ फिराक ओ साहिर ओ मखदूम
मीर की ज़ौक की दागों की दुनिया
ये दुनिया अगर…
पल छीन में बातें चली जाती हैं
पल छीन में रातें चली जाती हैं
रह जाता है जो सवेरा वो ढूंढे
जलते मकां में बसेरा वो ढूंढे
जैसी बची है वैसी की वैसी बचा लो ये दुनिया
अपना समझके अपनों के जैसी उठालो ये दुनिया
छुट पुट सी बातों में जलने लगेगी संभालो ये दुनिया…
कट पिट के रातों में पलने लगेगी संभालो ये दुनिया..
ओ री दुनिया…
वो कहे हैं की दुनिया ये इतनी नहीं है
सितारों से आगे जहां और भी है
ये हम ही नहीं हैं वहाँ और भी है
हमारी हर एक बात होती वहीं है
हमें ऐतराज़ नहीं है कहीं भी
वो आलिम हैं फ़ाज़िल हैं होंगे सही ही
मगर फ़लसफ़ा ये बिगड़ जाता है
जो वो कहते हैं
आलिम ये कहता वहाँ इश्वर है
फ़ाज़िल ये कहता वहाँ अल्लाह है
काबुर ये कहता वहाँ इसा है
मंजिल ये कहती तब इंसान से की
तुम्हारी है तुम ही सम्भालों ये दुनिया
ये बुझते हुए चंद बासी चरागों
तुम्हारे ये काले इरादों की दुनिया…
ओ री दुनिया
I love you piyush
ReplyDeleteपीयूष जी ग़ज़ब के फनकार हैं।
ReplyDeleteपीयूष जी को प्रणाम
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