रुत आ गयी रे - Rut Aa Gayi Re (Sukhwinder Singh, 1947 Earth)

Movie/Album: 1947 अर्थ (1999)
Music By: ए.आर.रहमान
Lyrics By: जावेद अख्तर
Performed By: सुखविंदर सिंह

रुत आ गयी रे
रुत छा गयी रे

पीली-पीली सरसों फूले
पीले-पीले पत्ते झूमें
पीहू-पीहू पपीहा बोले
चल बाग़ में

धमक-धमक ढोलक बाजे
छनक-छनक पायल छनके
खनक-खनक कंगना बोले
चल बाग़ में

चुनरी जो तेरी उड़ती है
उड़ जाने दे
बिंदिया जो तेरी गिरती है
गिर जाने दे


गीतों की मौज आयी
फूलों की फौज आयी
नदियाँ में जो धूप घुली
सोना बहा...
अम्बवा से है लिपटी
एक बेल बैले की
तू ही मुझसे है दूर
आ पास आ...
मुझको तो साँसों से छु ले
झूलूँ  इन बाहों के झूले
प्यार थोड़ा सा मुझे दे के
मेरे जानों दिल तू ले ले...

तू जब यूं सजती है
इक धूम मचती है
सारी गलियों में
सारे बाज़ार में...
आँचल बसंती है
उसमें से छनती है
जो मैंने पूजी है
मूरत प्यार में...
जान कैसी है ये डोरी
मैं बंधा हूँ जिससे गोरी
तेरे नैनों ने मेरी नींदों की
कर ली है चोरी...

रुत आ गयी रे
रुत छा गयी रे

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