Movie/Album: रंगीले (2012)
Music By: कैलासा, कैलाश खेर, परेश कामथ, नरेश कामथ
Lyrics By: कैलाश खेर
Performed By: कैलाश खेर, परेश कामथ, नरेश कामथ
मौसमों ने रूठ के जहां से कह दिया
बुझ ना जाए रोशन हाँ उम्मीदों का दीया
टूटे-टूटे तारों ने नज़ारों से कहा
करनी को तुम्हारी हमने हँस के सहा
अब जोड़ो, ना तोड़ो, नाता ये सच्चा
ओ पहरों हाँ ठहरो अच्छा हो अच्छा
अँधेरे कहीं जम ना जाएँ
उजाले बाँट लो
पत्तों ने पेड़ों से, पानी ने नदियों से
फसलों ने धरती से कहा
बच्चों ने बुजुर्गों से, नस्लों ने पुरखों से
हर गुज़रते लम्हें ने कहा
अँधेरे कहीं...
पर्वतों की तीसरी है आँख खुल गयी
बादलों की टोली भी अब इनसे मिल गयी
उजले-उजले आसमां में छेद हो गया
पृथ्वी के जीवों में कैसा भेद हो गया
हाँ डूबे, ले डूबे इस धरती के शहर
संभालो बचा लो ये बस्ती ये नगर
बर्फ अब जलने लगे, पत्थर पिघलने लगे
सबने मिलके दुनिया से कहा
घटते हुए सीपों ने, मिटते हुए द्विपों ने
चिल्लाते समंदर से कहा
अँधेरे कहीं...
Music By: कैलासा, कैलाश खेर, परेश कामथ, नरेश कामथ
Lyrics By: कैलाश खेर
Performed By: कैलाश खेर, परेश कामथ, नरेश कामथ
मौसमों ने रूठ के जहां से कह दिया
बुझ ना जाए रोशन हाँ उम्मीदों का दीया
टूटे-टूटे तारों ने नज़ारों से कहा
करनी को तुम्हारी हमने हँस के सहा
अब जोड़ो, ना तोड़ो, नाता ये सच्चा
ओ पहरों हाँ ठहरो अच्छा हो अच्छा
अँधेरे कहीं जम ना जाएँ
उजाले बाँट लो
पत्तों ने पेड़ों से, पानी ने नदियों से
फसलों ने धरती से कहा
बच्चों ने बुजुर्गों से, नस्लों ने पुरखों से
हर गुज़रते लम्हें ने कहा
अँधेरे कहीं...
पर्वतों की तीसरी है आँख खुल गयी
बादलों की टोली भी अब इनसे मिल गयी
उजले-उजले आसमां में छेद हो गया
पृथ्वी के जीवों में कैसा भेद हो गया
हाँ डूबे, ले डूबे इस धरती के शहर
संभालो बचा लो ये बस्ती ये नगर
बर्फ अब जलने लगे, पत्थर पिघलने लगे
सबने मिलके दुनिया से कहा
घटते हुए सीपों ने, मिटते हुए द्विपों ने
चिल्लाते समंदर से कहा
अँधेरे कहीं...
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