Movie/Album: आहुति (1978)
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: किशोर कुमार, लता मंगेशकर
दीवार जो इतनी ऊँची ना होती
छत पे अकेली तू जब, रात सोती
कंकर मार के तुझको मैं जगाता
काश ऐसा होता, काश ऐसा होता
तेरी गली में होता मेरा चौबारा
चौबारे से देखती/देखता तुझे दिन सारा
आँगन में तेरे खुलता मेरा झरोंखा
झाँक लेती/लेता नीचे मिलते ही मौका
काश ऐसा होता...
काश ऐसा होता
घर तेरा होता, सामने मेरे घर के
तू मेरी खिड़की के पास से गुज़र के
लिख के रोज़ चिट्ठी फेंक जाता
काश ऐसा होता...
काश ऐसा होता
जी-जान से तू मुझे प्यार करती
जब दरपन ले के तू श्रृंगार करती
मैं दूर से देखता मुस्कुराता
काश ऐसा होता...
हाँ सुन्दर ये सपना, मगर नसीब अपना
बहा के ये पसीना, हमें है यार जीना
करे गरीब उल्फ़त, किसे है इतनी फुर्सत
हमारी ज़िन्दगानी, तेरी-मेरी जवानी
इस तरह कटेगी, कमा के अपनी रोटी
न जाने तू कहाँ है, यहाँ-वहाँ धुंआ है
सोच के ये दिल को हम दे रहे हैं धोखा
काश ऐसा होता...
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: किशोर कुमार, लता मंगेशकर
दीवार जो इतनी ऊँची ना होती
छत पे अकेली तू जब, रात सोती
कंकर मार के तुझको मैं जगाता
काश ऐसा होता, काश ऐसा होता
तेरी गली में होता मेरा चौबारा
चौबारे से देखती/देखता तुझे दिन सारा
आँगन में तेरे खुलता मेरा झरोंखा
झाँक लेती/लेता नीचे मिलते ही मौका
काश ऐसा होता...
काश ऐसा होता
घर तेरा होता, सामने मेरे घर के
तू मेरी खिड़की के पास से गुज़र के
लिख के रोज़ चिट्ठी फेंक जाता
काश ऐसा होता...
काश ऐसा होता
जी-जान से तू मुझे प्यार करती
जब दरपन ले के तू श्रृंगार करती
मैं दूर से देखता मुस्कुराता
काश ऐसा होता...
हाँ सुन्दर ये सपना, मगर नसीब अपना
बहा के ये पसीना, हमें है यार जीना
करे गरीब उल्फ़त, किसे है इतनी फुर्सत
हमारी ज़िन्दगानी, तेरी-मेरी जवानी
इस तरह कटेगी, कमा के अपनी रोटी
न जाने तू कहाँ है, यहाँ-वहाँ धुंआ है
सोच के ये दिल को हम दे रहे हैं धोखा
काश ऐसा होता...
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