Movie/Album: चित्रलेखा (1964)
Music By: रोशन
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: लता मंगेशकर
संसार से भागे फिरते हो
भगवान को तुम क्या पाओगे
इस लोक को भी अपना न सके
उस लोक में भी पछताओगे
संसार सेे भागे फिरते हो...
ये पाप है क्या, ये पुण्य है क्या
रीतों पर धर्म की मोहरें हैं
हर युग में बदलते धर्मों को
कैसे आदर्श बनाओगे
संसार से भागे फिरते...
ये भोग भी एक तपस्या है
तुम त्याग के मारे क्या जानो
अपमान रचेता का होगा
रचना को अगर ठुकराओगे
संसार से भागे फिरते...
हम कहते हैं ये जग अपना है
तुम कहते हो झूठा सपना है
हम जन्म बिता कर जायेंगे
तुम जन्म गँवा कर जाओगे
संसार से भागे फिरते...
Music By: रोशन
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: लता मंगेशकर
संसार से भागे फिरते हो
भगवान को तुम क्या पाओगे
इस लोक को भी अपना न सके
उस लोक में भी पछताओगे
संसार सेे भागे फिरते हो...
ये पाप है क्या, ये पुण्य है क्या
रीतों पर धर्म की मोहरें हैं
हर युग में बदलते धर्मों को
कैसे आदर्श बनाओगे
संसार से भागे फिरते...
ये भोग भी एक तपस्या है
तुम त्याग के मारे क्या जानो
अपमान रचेता का होगा
रचना को अगर ठुकराओगे
संसार से भागे फिरते...
हम कहते हैं ये जग अपना है
तुम कहते हो झूठा सपना है
हम जन्म बिता कर जायेंगे
तुम जन्म गँवा कर जाओगे
संसार से भागे फिरते...
BEST LYRIC OF SAHIR
ReplyDeleteExcellent , only few can write these lyrics and excellent composition. Both are great. But of course lataji adhered to both _ sahir and Roshan as a good student
ReplyDeleteExcellent song in all respects.
ReplyDeleteEssence and reality of life, go through word by word for deep meaning. 🤔🤔
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