Movie/Album: क्रोधी (1981)
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: सुरेश वाडकर, लता मंगेशकर
चल चमेली बाग़ में मेवा खिलाऊँगा
मेवे की टहनी टूट गयी तो, चादर बिछाऊँगा
चादर का पल्लू फट गया तो, दर्जी बुलवाऊँगा
दर्जी की सुई टूट गयी तो, घोड़ा दौड़ाऊँगा
घोड़े की टाँग टूट गयी तो, तुमको उठाऊँगा
दिल में बिठाऊँगा
चल चमेली चमेली बाग़ में...
इतना सब कुछ कर के फिर दिल में बिठाओगे
पहले से ही दिल में बिठा लो तुम थक जाओगे
चल चमेली चमेली बाग़ में झूला झूलाऊँगी
झूले की रस्सी टूट जाएगी तो, आँचल बिछाऊँगी
आँचल का पल्लू फट गया तो, सी कर दिखाऊँगी
सुई जो मुझको चुभ गयी, हँसकर मनाऊँगी
हँसकर जो तुम ना माने तो रोकर दिखाऊँगी
तुम को मनाऊँगी
तुम मान जाओगे मैं रूठ जाऊँगी
चल चमेली बाग़ में...
यानी सारा वक़्त कटेगा तुम्हें मनाने में
घर में बैठो क्या रखा है बाग़ में जाने में
चल चमेली बाग़ मे पंछी दिखाऊँगा
पंछी डाली से उड़ गये तो, सीटी बजाऊँगा
सीटी से भी वो ना मुड़े तो, बंसी बजाऊँगा
बंसी जो गिर के टूट गयी तो, मैं गीत गाऊँगा
गीतों में तुमको प्यार की बातें सुनाऊँगा
दिन रात फिर तुमको मैं याद आऊँगा
याद ना आना वरना मुझको नींद न आएगी
आँखों ही आँखों में सारी रात जाएगी
चल चमेली बाग़ में चोरी से जाएँगे
चोरी से माली की सभी कलियाँ चुराएँगे
कलियाँ चुरा के तेरा गजरा बनाएँगे
ये तो सोचो क्या होगा जो पकड़े जाएँगे
पकड़े जाने से पहले तो हम भाग जाएँगे
चल चमेली बाग़ में...
Music By: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
Lyrics By: आनंद बक्षी
Performed By: सुरेश वाडकर, लता मंगेशकर
चल चमेली बाग़ में मेवा खिलाऊँगा
मेवे की टहनी टूट गयी तो, चादर बिछाऊँगा
चादर का पल्लू फट गया तो, दर्जी बुलवाऊँगा
दर्जी की सुई टूट गयी तो, घोड़ा दौड़ाऊँगा
घोड़े की टाँग टूट गयी तो, तुमको उठाऊँगा
दिल में बिठाऊँगा
चल चमेली चमेली बाग़ में...
इतना सब कुछ कर के फिर दिल में बिठाओगे
पहले से ही दिल में बिठा लो तुम थक जाओगे
चल चमेली चमेली बाग़ में झूला झूलाऊँगी
झूले की रस्सी टूट जाएगी तो, आँचल बिछाऊँगी
आँचल का पल्लू फट गया तो, सी कर दिखाऊँगी
सुई जो मुझको चुभ गयी, हँसकर मनाऊँगी
हँसकर जो तुम ना माने तो रोकर दिखाऊँगी
तुम को मनाऊँगी
तुम मान जाओगे मैं रूठ जाऊँगी
चल चमेली बाग़ में...
यानी सारा वक़्त कटेगा तुम्हें मनाने में
घर में बैठो क्या रखा है बाग़ में जाने में
चल चमेली बाग़ मे पंछी दिखाऊँगा
पंछी डाली से उड़ गये तो, सीटी बजाऊँगा
सीटी से भी वो ना मुड़े तो, बंसी बजाऊँगा
बंसी जो गिर के टूट गयी तो, मैं गीत गाऊँगा
गीतों में तुमको प्यार की बातें सुनाऊँगा
दिन रात फिर तुमको मैं याद आऊँगा
याद ना आना वरना मुझको नींद न आएगी
आँखों ही आँखों में सारी रात जाएगी
चल चमेली बाग़ में चोरी से जाएँगे
चोरी से माली की सभी कलियाँ चुराएँगे
कलियाँ चुरा के तेरा गजरा बनाएँगे
ये तो सोचो क्या होगा जो पकड़े जाएँगे
पकड़े जाने से पहले तो हम भाग जाएँगे
चल चमेली बाग़ में...
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