Movie/Album: स्टॉप (2004)
Music By: विशाल-शेखर
Lyrics By: पंछी जालोनवी
Performed By: जगजीत सिंह
इक खलिश दिल की ये, क्या से क्या कर गयी
खुशियों की आँख में, बारिशें भर गयी
लोग अपनों से भी बेखबर हो गये
खुशबुएँ छूनी थी, शौक में खो गये
पा के जुगनू ज़रा रौशनी के लिए
दिल तरसता है अब ज़िन्दगी के लिए
सुर्ख़ फूलों के जो नर्म साये मिले
अपनों की शक्ल में जो पराए मिले
सुर्ख़ फूलों के जो नर्म साये मिले
अपनों की शक्ल में जो पराए मिले
इनके पीछे ज़रा सोच के भागिए
कच्चे रंगों की है तितलियाँ देखिये
एक पल ही मिला था खुशी के लिए
दिल तरसता है अब ज़िन्दगी के लिए
एक ख्वाहिश में थी सैंकड़ों आंधियाँ
पल में बिखरे सभी रिश्तों के आशियाँ
प्यासे लब का यही सबको हासिल मिला
जुस्तजू दरिया थी खुश्क साहिल मिला
खो के नींदें किसी अजनबी के लिए
दिल तरसता है अब ज़िन्दगी के लिए
Music By: विशाल-शेखर
Lyrics By: पंछी जालोनवी
Performed By: जगजीत सिंह
इक खलिश दिल की ये, क्या से क्या कर गयी
खुशियों की आँख में, बारिशें भर गयी
लोग अपनों से भी बेखबर हो गये
खुशबुएँ छूनी थी, शौक में खो गये
पा के जुगनू ज़रा रौशनी के लिए
दिल तरसता है अब ज़िन्दगी के लिए
सुर्ख़ फूलों के जो नर्म साये मिले
अपनों की शक्ल में जो पराए मिले
सुर्ख़ फूलों के जो नर्म साये मिले
अपनों की शक्ल में जो पराए मिले
इनके पीछे ज़रा सोच के भागिए
कच्चे रंगों की है तितलियाँ देखिये
एक पल ही मिला था खुशी के लिए
दिल तरसता है अब ज़िन्दगी के लिए
एक ख्वाहिश में थी सैंकड़ों आंधियाँ
पल में बिखरे सभी रिश्तों के आशियाँ
प्यासे लब का यही सबको हासिल मिला
जुस्तजू दरिया थी खुश्क साहिल मिला
खो के नींदें किसी अजनबी के लिए
दिल तरसता है अब ज़िन्दगी के लिए
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