Movie/Album: कुदरत (1981)
Music By: राहुल देव बर्मन
Lyrics By: क़तील शिफ़ाई
Performed By: चंद्रशेखर गाडगील
दुःख-सुख की हर इक माला, कुदरत ही पिरोती है
हाथों की लकीरों में, ये जागती-सोती है
दुःख सुख की हर इक माला...
यादों का सफ़र ये करे, गुज़री बहारों में कभी
आने वाले कल पे हँसे, उड़ते नज़ारों में कभी
एक हाथ मे अंधियारा, एक हाथ में ज्योति है
दुःख सुख की हर इक माला...
सामना करे जो इसका, किसी में ये दम है कहाँ
इसका खिलोना बन के, हम सब जीते है यहाँ
जिस राह से हम गुज़रें, ये सामने होती है
दुःख सुख की हर इक माला...
आहों के जनाज़े दिल में, आँखों में चिताएँ गम की
नींदे बन गयी तिनका, चली वो हवाएँ गम की
इंसान के अंदर भी, आँधी कोई होती है
दुःख सुख की हर इक माला...
खुद को छुपाने वालों का, पल-पल पीछा ये करे
जहाँ भी हो मिटे निशां, वहीं जा के पाँव ये धरे
फिर दिल का हर एक घाव, अश्कों से ये धोती है
दुःख सुख की हर इक माला...
Music By: राहुल देव बर्मन
Lyrics By: क़तील शिफ़ाई
Performed By: चंद्रशेखर गाडगील
दुःख-सुख की हर इक माला, कुदरत ही पिरोती है
हाथों की लकीरों में, ये जागती-सोती है
दुःख सुख की हर इक माला...
यादों का सफ़र ये करे, गुज़री बहारों में कभी
आने वाले कल पे हँसे, उड़ते नज़ारों में कभी
एक हाथ मे अंधियारा, एक हाथ में ज्योति है
दुःख सुख की हर इक माला...
सामना करे जो इसका, किसी में ये दम है कहाँ
इसका खिलोना बन के, हम सब जीते है यहाँ
जिस राह से हम गुज़रें, ये सामने होती है
दुःख सुख की हर इक माला...
आहों के जनाज़े दिल में, आँखों में चिताएँ गम की
नींदे बन गयी तिनका, चली वो हवाएँ गम की
इंसान के अंदर भी, आँधी कोई होती है
दुःख सुख की हर इक माला...
खुद को छुपाने वालों का, पल-पल पीछा ये करे
जहाँ भी हो मिटे निशां, वहीं जा के पाँव ये धरे
फिर दिल का हर एक घाव, अश्कों से ये धोती है
दुःख सुख की हर इक माला...
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