Movie/Album: लाजवंती (1958)
Music By: सचिन देव बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: आशा भोंसले
कुछ दिन पहले एक ताल में
कमल कुंज के अंदर
रहता था
एक हंस का जोड़ा
कुछ दिन पहले...
रोज़ रोज़ रोज़ भोर होते ही जब
खिल जाते कमल
दूर दूर दूर मोती चुगने को हंस
घर से जाता निकल
संध्या होते घर को आता झूम-झूम के
कुछ दिन पहले...
जब जब जब छिप जाता था दिन
तारे जाते थे खिल
सो जाते हिल-मिल के वो दोनों
जैसे लहरों के दिल
चंदा हँसता दोनों के मुख चूम चूम के
कुछ दिन पहले...
थी उनकी एक नन्हीं सी बेटी
छोटी सी हंसनी
दोनों के नैनों की वो ज्योति
घर की रौशनी
ममता गाती और मुस्काती झूम झूम के
कुछ दिन पहले...
फिर एक दिन ऐसा तूफ़ान आया
चली ऐसी हवा
बेचारे हंसा उड़ गए रे
हो के सबसे जुदा
सागर सागर रोतें हैं अब घूम-घूम के
घूम घूम के...
Music By: सचिन देव बर्मन
Lyrics By: मजरूह सुल्तानपुरी
Performed By: आशा भोंसले
कुछ दिन पहले एक ताल में
कमल कुंज के अंदर
रहता था
एक हंस का जोड़ा
कुछ दिन पहले...
रोज़ रोज़ रोज़ भोर होते ही जब
खिल जाते कमल
दूर दूर दूर मोती चुगने को हंस
घर से जाता निकल
संध्या होते घर को आता झूम-झूम के
कुछ दिन पहले...
जब जब जब छिप जाता था दिन
तारे जाते थे खिल
सो जाते हिल-मिल के वो दोनों
जैसे लहरों के दिल
चंदा हँसता दोनों के मुख चूम चूम के
कुछ दिन पहले...
थी उनकी एक नन्हीं सी बेटी
छोटी सी हंसनी
दोनों के नैनों की वो ज्योति
घर की रौशनी
ममता गाती और मुस्काती झूम झूम के
कुछ दिन पहले...
फिर एक दिन ऐसा तूफ़ान आया
चली ऐसी हवा
बेचारे हंसा उड़ गए रे
हो के सबसे जुदा
सागर सागर रोतें हैं अब घूम-घूम के
घूम घूम के...
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