Movie/Album: चित्रलेखा (1964)
Music By: रोशन
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: मन्ना डे
लागी मनवा के बीच कटारी
कि मारा गया ब्रह्मचारी, हाय
कैसी ज़ुल्मी बनायी तैने नारी
कि मारा गया ब्रह्मचारी
ऐसा घुँघरू पायलिया का छनका
मोरी माला में अटक गया मनका
मैं तो भूला प्रभु सुध-बुध सारी
कि मारा गया ब्रह्मचारी...
कोई चंचल, कोई मतवाली है
कोई नटखट, कोई भोली-भाली है
कभी देखी न थी ऐसी फ़ुलवारी
कि मारा गया ब्रह्मचारी...
बड़े जतनों साध बनायी थी
मोरी बरसों की पुण्य कमायी थी
तैने पल में भसम कर डारी
कि मारा गया ब्रह्मचारी...
मोहे बावला बना गयीं वाकी बतियाँ
अब कटती नहीं हैं मोसे रतियाँ
पड़ी सर पे बिपत अति भारी
कि मारा गया ब्रह्मचारी...
मोहे उन बिन कछु न सुहाये रे
मोरी अँखियों के आगे लहराये रे
गोरे मुखड़े पे लट कारी-कारी
कि मारा गया ब्रह्मचारी...
Music By: रोशन
Lyrics By: साहिर लुधियानवी
Performed By: मन्ना डे
लागी मनवा के बीच कटारी
कि मारा गया ब्रह्मचारी, हाय
कैसी ज़ुल्मी बनायी तैने नारी
कि मारा गया ब्रह्मचारी
ऐसा घुँघरू पायलिया का छनका
मोरी माला में अटक गया मनका
मैं तो भूला प्रभु सुध-बुध सारी
कि मारा गया ब्रह्मचारी...
कोई चंचल, कोई मतवाली है
कोई नटखट, कोई भोली-भाली है
कभी देखी न थी ऐसी फ़ुलवारी
कि मारा गया ब्रह्मचारी...
बड़े जतनों साध बनायी थी
मोरी बरसों की पुण्य कमायी थी
तैने पल में भसम कर डारी
कि मारा गया ब्रह्मचारी...
मोहे बावला बना गयीं वाकी बतियाँ
अब कटती नहीं हैं मोसे रतियाँ
पड़ी सर पे बिपत अति भारी
कि मारा गया ब्रह्मचारी...
मोहे उन बिन कछु न सुहाये रे
मोरी अँखियों के आगे लहराये रे
गोरे मुखड़े पे लट कारी-कारी
कि मारा गया ब्रह्मचारी...
No comments :
Post a Comment
यह वेबसाइट/गाना पसंद है? तो कुछ लिखें...