Movie/Album: पटियाला हाउस (2011)
Music By: शंकर-एहसान-लॉय
Lyrics By: अन्विका दुत्ता गुप्तन
Performed By: विशाल ददलानी, शंकर महादेवन, सूरज जगन
ख़्वाबों के लिफ़ाफ़ों में, किस्सों में किताबों में
फुर्सतों की बातों में, अरसों से ख़यालों में
थोड़ी खोयी हुई, कब से सोई हुई
वो आदत है वो
करवटों की बाँहों में, सिलवटों की राहों में
सहमी-सहमी साँसों में, सुरमयी सी बातों में
ज़िद्द सी छूटे नहीं, मुझसे रूठे नहीं
वो आदत है वो
वो देखे जिधर डोले नियत उधर
ये महका हुनर उसने सीखा किधर
उसको बनाने वाला, कुछ-कुछ तो बहका होगा
जब भी पड़ी होगी नज़र
चोट बन के कभी, ऐसे दिल पे लगी
वो आदत है वो
इन्तज़ारों में रहूँ, उम्र भर मैं तो रुकूँ
दिल को कैसे दूँ सुकूँ
उसको मैं ये कह सकूँ
यूँ ज़ुबाँ पे चढ़ी महँगी जो है पड़ी
वो आदत है वो
Music By: शंकर-एहसान-लॉय
Lyrics By: अन्विका दुत्ता गुप्तन
Performed By: विशाल ददलानी, शंकर महादेवन, सूरज जगन
ख़्वाबों के लिफ़ाफ़ों में, किस्सों में किताबों में
फुर्सतों की बातों में, अरसों से ख़यालों में
थोड़ी खोयी हुई, कब से सोई हुई
वो आदत है वो
करवटों की बाँहों में, सिलवटों की राहों में
सहमी-सहमी साँसों में, सुरमयी सी बातों में
ज़िद्द सी छूटे नहीं, मुझसे रूठे नहीं
वो आदत है वो
वो देखे जिधर डोले नियत उधर
ये महका हुनर उसने सीखा किधर
उसको बनाने वाला, कुछ-कुछ तो बहका होगा
जब भी पड़ी होगी नज़र
चोट बन के कभी, ऐसे दिल पे लगी
वो आदत है वो
इन्तज़ारों में रहूँ, उम्र भर मैं तो रुकूँ
दिल को कैसे दूँ सुकूँ
उसको मैं ये कह सकूँ
यूँ ज़ुबाँ पे चढ़ी महँगी जो है पड़ी
वो आदत है वो
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